पलामू के दुर्ग
पलामू में दो दुर्ग हैं जो वर्तमान समय में कुछ जर्जर हो चुके है, लेकिन ये आज भी इस क्षेत्र की शान हैं और पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र भी। इन किलों को 'पुराना किला' और 'नया किला' कहा जाता है। ये दुर्ग चेरो राजवंश के राजाओं की देन हैं। इस किले को राजा मेदिनी राय ने बनवाया था।
पलामू के मुख्यालय मेदिनीनगर (डाल्टनगंज) के दक्षिण दिशा में कोयल नदी के तट पर अवस्थित शाहपुर किला पलामू इतिहास के सैकड़ों वर्षों की स्मृतियों को समेटे बद्हाल अवस्था में खड़ा है। स्थानीय लोग इस किले को 'चलानी किला' भी कहतें हैं। इतिहास के अनुसार इसका निर्माण 1766-1770 के आसपास चेरोवंशीय राजा गोपाल राय ने करवाया था और चेरो सत्ता के अवसान काल के दौरान पलामू का सम्राज्य को यहीं से संचालित किया जाता था। सन् 1771 में पलामू किला पर अंग्रेजों के आक्रमण और नियंत्रणाधीन होने के बाद शाहपुर किला ही राजा का निवास स्थान बना।
कहा जाता है कि इस किले से सुरंग के रूप में एक गुप्त मार्ग पलामू किला तक जाता था। इस किले में चेरो वंश के अंतिम शासक राजा चुड़ामन राय और उनकी पत्नी चंद्रावती देवी की प्रतिमा स्थापित की गई है। शाहपुर मुख्य मार्ग पर स्थित इस किले से कोयल नदी समेत मेदिनीनगर क्षेत्र के मनोहारी प्राकृतिक दृश्य को देखा जा सकता है। कुछ वर्ष पूर्व इस किले को पुरातात्विक महत्व का घोषित किया गया हैं लेकिन इसके बावजूद भी यह चेरोवंशीय साम्राज्य के वैभवशाली इतिहास का मूक साक्षी अपनी दुर्दशा पर सिसकता नजर आता है।[1]