यह स्थान बीकानेर से लगभग २० मील दक्षिण में जेगला से करीब ४ मील पूर्व में है। यहां एक उल्लेखनीय छत्री है, जिसपर बीकानेर के राव जैतसी के एक पूत्र राठौड़ मानसिंह की मृत्यु और उसके साथ उसकी स्री कछवाही पूनिमादे के सती होने के विषय में १९ जून १५९६ ई० का लेख खुदा है। छत्री की बनावट साधारण है तथा उसका छज्जा और गुम्बद बहुत जीर्ण अवस्था में हैं।