पादताडितकम् (शब्दार्थ = 'पैर से मारा हुआ') पाँचवी शदी के आरम्भ में रचित महाकवि श्यामलिक का भाण (एकल अभिनीत नाटक / monologue) है।

पादताडितकम्, पद्मप्राभृतक, धूर्तविटसंवाद और उभयभिसारिका - संस्कृत के इन चार प्रसिद्ध भाणों को सम्मिलित रूप से 'चतुर्भाणी' कहते हैं। ये चार भाण क्रमशः श्यामलिक, शूद्रक, ईश्वरदत्त और वररुचि की रचनाएँ हैं।

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