पान सिंह तोमर
पान सिंह तोमर (1932 - 1 अक्टूबर, 1982) एक भारतीय सैनिक, एथलीट, और बागी (विद्रोही) थे। उन्होंने भारतीय सेना में सेवा की, जहाँ दौड़ने की उनकी प्रतिभा का पता चला वह 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय स्टीपलचेज़ में चैम्पियन थे और 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। सेना से समय से पहले सेवानिवृत्त होने के बाद, वह अपने पैतृक गांव लौट आए। जहाँ उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी ज़मीन भ्रष्ट कर्मचारियों के सहयोग से अपने नाम करवा ली। उनकी खेती नष्ट कर दी। बंदूको से पान सिंह तोमर के परिवार पर हमला कर दिया उनकी माता को मार दिया गया। बाद में पान सिंह तोमर अपना बदला लेने के लिए चम्बल घाटी के डकैत के रूप में कुख्याति प्राप्त की। 1981 में, उन्हें भारतीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा मार दिया गया था।
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व्यक्तिगत जानकारी | ||||
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राष्ट्रीयता | भारतीय | |||
जन्म |
1932 भिण्ड, मुरैना, ब्रिटिश भारत | |||
मृत्यु |
1 अक्तूबर 1982 रठियापुरा, Bhind जिला, मध्य प्रदेश भारत | |||
कद | 6 फीट 1 इंच (1.85 मी॰) [1] | |||
खेल | ||||
खेल | ट्रैक और फील्ड | |||
प्रतिस्पर्धा | 3000 मीटर स्टीपलचेज़ | |||
पदक अभिलेख
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पान सिंह तोमर का जन्म पोरसा के पास छोटे से गाँव भिडोसा में, एक हिंदू राजपूत परिवार में हुआ था, जो अंग्रेजों के शासन के तहत ग्वालियर की रियासत के तत्कालीन टोंवरघर जिले में, चंबल नदी के तट पर रहते थे। तोमर के पिता ईश्वरी सिंह तोमर थे, जिनके छोटे भाई दयाराम सिंह तोमर ने तोमर परिवार का नेतृत्व किया, जिसके पास भिडोसा क्षेत्र और उसके आसपास की अधिकांश उपजाऊ कृषि भूमि थी। पान सिंह तोमर ने बाद में 1977 में अपने भतीजे और दयाराम सिंह तोमर के पोते बब्बू सिंह तोमर की हत्या कर दी, जिसका कारण एक भूमि विवाद था जिसमें पान सिंह तोमर को धोखा दिया गया था।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "पान सिंह तोमर(अँग्रेजी में)". हू वाज दिस मैन?. Archived from the original on 22 दिसंबर 2015. Retrieved 15 दिसंबर 2015.
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