पारमिता
बौद्ध धर्म में 'परिपूर्णता' या कुछ गुणों का चरमोन्नयन की स्थिति को पारमिता या पारमी (पालि) कहा गया है। बौद्ध धर्म में इन गुणों का विकास पवित्रता की प्राप्ति, कर्म को पवित्र करने आदि के लिए की जाती है ताकि साधक अनावरुद्ध जीवन जीते हुए भी ज्ञान की प्राप्ति कर सके। 'पारमिता' शब्द 'परम्' से व्युत्पन्न है।
छः पारमिता : महायान ग्रन्थों में छः पारमिता की गणना मिलती है-
- दान पारमिता
- शील पारमिता
- क्षान्ति पारमिता
- वीर्य पारमिता
- ध्यान पारमिता
- प्रज्ञा पारमिता
दशभूमिकासूत्र में निम्नलिखित चार पारमिता भी गिनायी गयीं हैं-
- 7. उपाय पारमिता
- 8. प्राणिधान पारमिता
- 9. बल पारमिता
- 10. ज्ञान पारमिता
दस पारमिता : थेरवाद ग्रन्थों में दस पारमिता वर्णित हैं-
- दान पारमी
- शील पारमी
- नेक्खम्मा (त्याग) पारमी
- पण्ण पारमी
- वीरिय पारमी
- खान्ति पारमी
- सच्च पारमी
- अधित्थान पारमी
- मेत्ता पारमी
- उपेक्खा पारमी
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |