पारस्परिक संचार दो या द्व्यधिक लोगों के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान है। [1] यह शोध का एक क्षेत्र भी है जो यह समझने की चेष्टा करता है कि मनुष्य कई व्यक्तिगत और सम्बन्धपरक लक्ष्यों को पूर्ण करने हेतु शाब्दिक और अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग कैसे करते हैं। [1]

पारस्परिक संचार अनुसन्धान परिपृच्छा की न्यूनतम छह श्रेणियों को सम्बोधित करता है: 1) मुखाभिमुख संचार के दौरान मनुष्य अपने शाब्दिक संचार और अशाब्दिक संचार को कैसे समायोजित और अनुकूलित करते हैं; 2) संदेश कैसे उत्पन्न होते हैं; 3) कैसे अनैश्चित्य व्यवहार और सूचना-प्रबन्धन रणनीतियों को प्रभावित करती है; 4) भ्रामक संचार ; 5) सम्बन्धपरक द्वन्द्वात्मकता ; और 6) सामाजिक सम्पर्क जो प्रौद्योगिकी द्वारा मध्यस्थ होते हैं। [2]

पारस्परिक संचार पर जैविक और शारीरिक दृष्टिकोण में रुचि बढ़ रही है। खोजी गई कुछ अवधारणाएँ व्यक्तित्व, ज्ञान संरचना और सामाजिक सम्पर्क, भाषा, अशाब्दिक संकेत, भावनात्मक अनुभव और अभिव्यक्ति, सहायक संचार, सामाजिक संजाल और सम्बन्धों का जीवन, प्रभाव, संघर्ष, संगणक-मध्यस्थ संचार, पारस्परिक कौशल, पारस्परिक संचार हैं। कार्यस्थल, पारस्परिक संचार पर पारस्परिक दृष्टिकोण, रूमानी (प्रेम प्रसंगयुक्त) या अफ़लातूनी सम्बन्धों में वृद्धि और गिरावट, पारस्परिक संचार और स्वास्थ्य सेवा, पारिवारिक सम्बन्ध और जीवन काल में संचार।

  1. Berger, Charles R.। (2008)। “Interpersonal communication”। The International Encyclopedia of Communication: 3671–3682। संपादक: Wolfgang Donsbach। New York, New York: Wiley-Blackwell।
  2. Berger, Charles R. (2005-09-01). "Interpersonal communication: Theoretical perspectives, future prospects". Journal of Communication. 55 (3): 415–447. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1460-2466. डीओआइ:10.1111/j.1460-2466.2005.tb02680.x. मूल से 5 अप्रैल 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अप्रैल 2023.