पारिस्थितिकी पर्याप्तता

पारिस्थिक पर्याप्तता (Eco-sufficiency) से आशय आधुनिक समाजों के कारण पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के उपायों से है। इस शब्द का उपयोग एवं प्रचार एमआईटी के प्रोफेसर थॉमस प्रिन्सेन ने सन २००५ में लिखी अपनी पुस्तक "द लॉजिक ऑफ सफिसिएन्सी" (पर्याप्तता का तर्कशास्त्र) में किया था।

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