पाली चंद्रा
पाली चंद्रा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की कथक नृतकी, कोरियोग्राफर, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और दुबई के गुरुकुल की कलात्मक निदेशक हैं।[1] जिनका जन्म १९ नवंबर, १९६७ को लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी माँ मां की इच्छा के बाद छह साल की उम्र में नृत्य करना शुरू कर दिया। उनकी माँ खुद एक नृतकी बनना चाहती थी परन्तु उस समय इजाजत न मिलने के कारण वह शास्त्रीय गायक बन गई।[2] पाली ने शास्त्रीय कथक गुरु विक्रम सिंह[3], पंडित राम मोहन महाराज[4], और लखनऊ घराने की श्रीमती कपिला राज[5] द्वारा सिखा था। और ८ वर्ष की आयु में ही उन्होंने गुरु विक्रम सिंग के प्रशिक्षण के बाद संगीत नाटक अकादमी, कथक केंद्र लखनऊ में अपनी क्षमता दिखाई। शास्त्रीय और समकालीन कथक की एक प्रदर्शनकारी कलाकार के रूप में, उन्हें उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मान्यता प्राप्त थी और वह लाछु महाराज पुरस्कार से सम्मानित भी थी। यह पुरुस्कार उन कलाकारों को मिलता है जिन्हें अभिनय कला अभिव्यक्ति की कला और कौशल हासिल होती है। वह इंपीरियल सोसाइटी ऑफ डांसिंग की एक कमेटी सदस्य और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की सदस्य हैं। पाली ने १९८७ में अवध गर्ल्स डीग्री कॉलेज, लखनऊ से अर्थशास्त्र और नृविज्ञान में प्रथम श्रेणी की सम्मानित डिग्री से स्नातक किया। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से नृविज्ञान में मास्टर्स की डिग्री भी प्राप्त की और उन्हें ट्राईबल म्यूजिक एंड डांस ऑफ़ द गद्दी जनजाति पर उनके शोध के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया गया।[6]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Welcome to Gurukul". Gurukuldubai.com. Retrieved 2015-12-11.
- ↑ "Born to dance". The Hindu. 2012-08-15. Retrieved 2015-12-11.
- ↑ Projesh Banerji (1927-01-22). "Dance in Thumri". Books.google.co.uk. p. 99. Retrieved 2015-12-11.
- ↑ "Behance". Behance.net. Retrieved 2015-12-11
- ↑ "Kapila Raj (Sharma) A Legendary Kathak Dancer. - Apni Maati: Personality". Spicmacay.apnimaati.com. 2012-03-03. Retrieved 2015-12-11.
- ↑ "About Gaddi Community of Himachal Pradesh". Discoveredindia.com. Retrieved 2015-12-11.