यह एक प्रमुख भारतीय चित्रकला शैली हैं। ९वीं से १२वीं शताब्दी तक बंगाल में पालवंश के शासकों धर्मपाल और देवपाल के शासक काल में विशेष रूप से विकसित होने वाली चित्रकला पाल शैली थी। पाल शैली की विषयवस्तु बौद्ध धर्म से प्रभावित रही हैं। इस शैली के विषय बौद्ध व जैन कथाएं थी। इसके दो केंद्र थे –1पश्चिमी भारत जिसमे मुख्यत गुजरात व राजस्थान थे तथा 2उतरी –पूर्वी शैली का केंद्र बना बिहार तथा बंगाल । तथा इस शैली की मुख्य पहचान है –गरुड़ की सी आगे निकली हुई नाक, पतली आंखे, छोटी ठुड्डी , ऐंठी अंगुलिया, पतली कमर इत्यादि।