भौतिकी में पिंड बल (body force) उस बल को कहते हैं जो पूरे निकाय पर काम करता है।[1] इसके उदाहरणों में गुरुत्वाकर्षण, विद्युत् बल और चुम्बकीय क्षेत्र शामिल हैं। पिंड बल में संपर्क बलों अथवा पृष्ठीय बलों की तरह निकाय का एक दूसरे के सम्पर्क में आना आवश्यक नहीं होता। अपकेन्द्रिय बल, आयलर बल और कॉरिऑलिस बल जैसे छद्म बल, पिंड बल के उदाहरण हैं।


गुणात्मक

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पिंड बल भी एक सामान्य बल है अतः इसकी विमा बल की विमा के समान [M][L][T]−2 (किलोग्राम-मीटर प्रति वर्ग सेकण्ड) होती है। हालांकि पिंड बल का अध्ययन बल प्रति इकाई आयतन या बल प्रति इकाई द्रव्यमान के व्यंजकों आसान होता है। यदि इसे बल प्रति इकाई आयतन के व्यंजक में लिखा जाता है तो इसे निकाय का बल घनत्व कहते हैं।

पिंड बल में दो पिंडों अथवा वस्तुओं के मध्य लगने वाले बल के लिए उनका सम्पर्क में आना आवश्यक नहीं होता और इस तरह यह संपर्क बल से अलग होता है। अतः दाब प्रवणता, चालन और उष्मा स्थानान्तरण् वाले बलों को पिंड बल नहीं कहा जा सकता, उनमें निकाय का बल लग रही वस्तु के सम्पर्क में आना आवश्यक है।

पिंड बल के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

छद्म बलों (अथवा जड़त्वीय बलों) को पिंड बल कहा जा सकता है। सामान्य जड़त्वीय बल निम्नलिखित हैं:

हालांकि छद्म बल वास्तव में बल नहीं हैं। वो न्यूटन के दूसरे नियम संशोधन है, जब उसे किसी त्वरित निर्देश तंत्र में सूत्रित किया जाता है। (सामान्य आपेक्षिकता के सन्दर्भ में गुरुत्वाकर्षण को भी छद्म बल माना जा सकता है।)

मात्रात्मक

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पिंड बल घनत्व के आयतन समाकलन से पिंड पर लगने वाले पूर्ण् बल का मान ज्ञात किया जा सकता है;

 

जहाँ dV अवकलज आयतन अल्पांश है और f निकाय पर लगने वाला बाह्य बल घनत्व क्षेत्र है।

अन्य सभी बलों की तरह से कोई वस्तु को त्वरण मिलता है। किसी ऐसे पिंड के लिए जो कि दृढ़ पिंड नहीं है, न्यूटन का दूसरा नियम केवल आयतन अल्पांश के लिए लागू होता है

 ,

जहां बिन्दु r पर ρ(r) पदार्थ का द्रव्यमान घनत्व, ƒ बल घनत्व और a(r) त्वरण है।

गुरुत्वाकर्षण में

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किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में उसके पृष्ठ पर पिंड पर लगने वाला त्वरण a(r) लगभग नियत (g) और एकरूअप होता है। पृथ्वी के निकट

 .

इस स्थिति में

 

जहां m पिंड का द्रव्यमान है।

इन्हें भी देखें

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  1. Springer site - Book 'Solid mechanics'. preview paragraph 'Body forces'.