पीलापन क्षण (अंग्रेज़ी: 'Pallor mortis) शब्द एक लेटिन शब्द से लिया गया है, (Latin: pallor "paleness", mortis "of death")। पेलनेस का अर्थ है, पीला पड़ना। तथा मोरटिस का अर्थ है "मौत का"।

पीलापन क्षण मौत का सबसे पहला क्षण होता है। मतलब मरने के बाद शरीर सबसे पहले पीला पड़ना शुरू होता है। उसके बाद अन्य क्षण आते हैं।

मौत के १५-२५ मिनटों के अंतर्गत ही शरीर पीला पड़ना शुरू हो जाता है। पीलापन इतनी जल्दी अत है कि यह मौत का समय पता लगाने में बिलकुल भी सहायक नहीं बनता।

शरीर में केशिका संचलन बंद हो जाने की वजह से यह स्तिथि आती है कि शरीर पीला पद जाता है। फिर गुरुत्वकर्ष्ण बल के कारण खून शरीर के निचले हिस्सों में स्थिर होना शुरू हो जाता है, इस क्षण को लिवोर (en: livor mortis) कहा जाता है।

जीवित व्यक्तियों में पीलापन

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एक जीवित व्यक्ति भी पीला दिख सकता है। ऐसा तब होता है जब त्वचा कि सतह से रक्त निकलने लगता है। जैसे कि कोई गहरा करंट लगने की वजह से इत्यादि। दिल का दौरा पड़ने कि वजह से भी चेहरा फीका नज़र आ सकता है। इस तरह के मामले में वक्ती के होंठ नीले पड जाते हैं। विटामिन डी कि कमी के कारण भी शरीर पीला पद जाता है, इस तरह के मामले हम आमतौर पर उन व्यक्तियों में देख सकते हैं जो घर से बहार धुप में नहीं जाते। अतः धुप न मिलने कि वजह से उनमे विटामिन डी कि कमी हो जाती है और शरीर पीला पड़ जाता है।