पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन
भारत में पृथ्वी के विभिन्न घटकों के बीच मजबूत संबंधों, उदाहरणार्थ वातावरण, महासागर, साइरो‑स्फीयर और जियो‑स्फीयर, के महत्व को स्वीकार करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को 2006 में गठित किया गया था। इसके तुरंत बाद वर्ष 2007 में एक वास्तविक संगठन अस्तित्व में आया। यह था - पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (Earth System Sciences Organisation / ESSO / एस्सो) जो मंत्रालय का प्रशासनिक अंग था।
इसके अंतर्गत भू विज्ञानों की तीन प्रमुख शाखाएं हैं –
(1) महासागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,
(2) वातावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और
(3) भू विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।
इस प्रयास का एकमात्र उद्देश्य था पृथ्वी की प्रक्रियाओं संबंधी विभिन्न पक्षों पर आमूल विचार करना ताकि पृथ्वी प्रणाली की विभिन्नताओं को समझा जा सके और मौसम, जलवायु तथा जोखिमों की भविष्यवाणी में सुधार किया जा सके।
कार्य
संपादित करेंइसका प्रमुख कार्य मौसम, जलवायु और जोखिम की भविष्यवाणी का विकास और सुधार था ताकि सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय फायदा मिल सके। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, जलवायु कार्यों और एकीकृत हिमालयी मौसम विज्ञान संबंधी पक्षों का अध्ययन करना भी इसकी परिधि में था। एस्सो का एक दायित्व यह भी है कि वह समाज के सामाजिक‑आर्थिक लाभ के लिए सामुद्रिक संसाधनों की खोज उसके दोहन का भी कार्य करे। इसके लिए सामुद्रिक पर्यावरण के क्षेत्र में होने वाले विकासों को मद्देनजर रखते हुए कार्य करना है।