पेरिकार्डियल बहाव पेरिकार्डियल स्थान में द्रव्य की असामान्य मात्रा में उपस्थिति परिभाषित करता है। यह स्थानीय या प्रणालीगत विकारों के कारण हो सकता है, या यह अज्ञात हेतुक हो सकता है। पेरिकार्डियल बहाव तीव्र या दीर्घकालिक हो सकता है, तथा इसके विकसित होने में लगने वाले समय का रोगी के लक्षणों पर एक गहरा प्रभाव हो सकता है। पेरिकार्डियल स्थान में सामान्य रूप से 15-50 मिली लीटर द्रव होता है, जो पेरिकार्डियम की आंतरिक और पार्श्विका परतों के स्नेहन के रूप में कार्य करता है। पेरिकार्डियम और पेरिकार्डियल द्रव हृदय सम्बन्धी कार्य में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं। सामान्य पेरिकार्डियम हृदय में बराबरी से वितरित बल को अंत:पेरिकार्डियल दबाव में सार्थक बदलाव किये बगैर द्रव की कम मात्रा को समायोजित करने के लिए फैल सकता है, पेरिकार्डियल संरचनायें मायोकार्डियम के एक समान संकुचन को सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं व हृदय के आरपार बल का वितरण करते हैं।

पेरिकार्डियल बहाव की नैदानिक अभिव्यक्तियां पेरिकार्डियल थैली में द्रव्य के जमने की दर पर अत्यधिक निर्भर हैं। पेरिकार्डियल द्रव का तीव्र गति से संचय 80 मिलीग्राम जितनी कम मात्रा के तरल पदार्थ से भी अंत:पेरिकार्डियल दबाव में बढ़ोतरी कर सकता है, जबकि धीमी गति से बढ़ते द्रव 21 तक बिना लक्षणों के बढ़ सकते हैं।