पोई या पोयसाग या बचलू ; वैज्ञानिक नाम : बेसेला अल्बा / BASELLA ALBA) एक सदाबहार लता है। इसकी पत्तियाँ मोटी, मांसल तथा हरी होतीं हैं जिनका शाक-सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से उगती हैै तथा वृक्षों और झाड़ियोंं का सहारा लेकर ऊपर चढ जाती है। इसके फल मकोय केे फलों जैसे दिखते हैैं जो पकने पर गाढ़े जामुनी रंग के हो जातेे है। इन पके फलों सेे गुलाबी आभाा लिये वाल रंग का रस निकलता है।

पोई की लता और पत्तियाँ

पोई के पत्तों का पालक के पत्तों जैसे पकौड़ा बनाने, साग बनाने में उपयोग होता है । इसे दाल में डालकर भी खाया जाता है ।

विभिन्न भाषाओं में नाम

संस्कृत उपोदिका, पोतकी, मालवा, अमृतवल्लरी

मराठी मायाल, मयालभाजी, बेलबोंडी, बेलगोंड

गुजराती पोथिनी बेल, पोई।

बंगाली पुंईशाक, रक्तपोई

अंग्रेजी इंडियन स्पिनेच (INDIAN SPINACH)

एनीमिया के लिए ये एक सदाबहार औषधि है जो की 100% सुरक्षित है।

इनकी लेखनी से _ 

हिमांशु तिवारी(@lekhk__) गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी

बाहरी कड़ियाँ

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