पोवाड़ा महाराष्ट्र का प्रसिद्ध लोक गायन है। मुख्यतः यह शिवाजी महाराज के युद्ध कौशल का यशोगान तथा स्तुति है।[1] यह वीर रस के गायन एवं लेखन प्रकार है और महाराष्ट्र में लोकप्रिय है। भारत में इसका उदय १७वी शताब्धि में हुआ। इसमें ऐतिहासिक घटना सामने रखकर गीत की रचना की जाती है। इस गीत प्रकार की रचना करनेवाले गीतकारों को शाहिर कहां जाता है।[2]

पोवाड़ा
मराठी गद्य की विधा
गायन शैली शौर्य गाथा
नायक शिवाजी
क्षेत्र महाराष्ट्र
काल १७वीं शताब्दी
गीतकार शाहिर
मूल गायक गोंधल (गोंधिया) दलित जाति के लोग
पुनरोद्धार महात्मा फुले
पुनर्प्रयोग राष्ट्रीय आन्दोलन और जनान्दोलनों का गीत
  1. त्रिपाठी, कुसुम (०३-०२-२०१६). "पोवाडा : वीर रस की मराठी कविता". फ़ॉर्वर्ड प्रेस. मूल से 16 मार्च 2017 को पुरालेखित. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. "महाराष्ट्रीयन लोकगीते एक संग्रहण". पोवाडे.कॉम. २५-०७-२०१६. मूल से 4 मार्च 2017 को पुरालेखित. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

इन्हें भी देखें

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