प्यार कोई खेल नहीं
प्यार कोई खेल नहीं 1999 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।[1] यह सुभाष सहगल द्वारा निर्देशित और सिब्ते हसन रिज़वी द्वारा निर्मित है। इसमें सनी देओल, महिमा चौधरी और अपूर्व अग्निहोत्री हैं। संगीत जतिन-ललित द्वारा रचा गया था और गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखे गए थे।
प्यार कोई खेल नहीं | |
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प्यार कोई खेल नहीं का पोस्टर | |
निर्देशक | सुभाष सहगल |
लेखक | सुभाष सहगल |
निर्माता | सिब्ते हसन रिज़वी |
अभिनेता |
सनी देओल, महिमा चौधरी, अपूर्व अग्निहोत्री |
संगीतकार | जतिन-ललित |
प्रदर्शन तिथियाँ |
30 जुलाई, 1999 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंसुनील (अपूर्व अग्निहोत्री) और अशोक दो दोस्त हैं। उनकी शादी की उम्र हो चुकी है। एक दिन अशोक की माँ उससे कहती है कि वह अपना परिचय शालू से कर ले। लेकिन अशोक ऐसा करने से कतराता है। वह सुनील से उसका रूप धारण करने और किसी तरह शालू को अस्वीकार करने के लिए कहता है। इस तरह उसकी माँ संतुष्ट हो जाएगी और उसे परेशान नहीं करेगी। इस बीच, शालू और निशा (महिमा चौधरी) ने भी ऐसा ही फैसला किया है और सुनील को बेवकूफ बनाने की योजना बनाई है। लेकिन जब दोनों मिलते हैं, तो सुनील और निशा को प्यार हो जाता है। लेकिन वे एक-दूसरे को अपने नाटक के बारे में बताने में असमर्थ होते हैं। लेकिन बाद में एक-दूसरे के माता-पिता से मिलने के बाद वे शादी कर लेते हैं। उनकी ज़िन्दगी में सुनील के बड़े भाई आनन्द (सनी देओल) का प्रवेश जटिलताएं बना देता है।
आनन्द एक सफल बिजनेसमैन हैं। निशा आनन्द के लिए काम करती है और वह उससे प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है। लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसका भाई उससे प्यार करता है, तो वह पीछे हो जाता है। सुनील और निशा की शादी हो जाती है और अंततः उनका एक बच्चा भी हो जाता है। लेकिन फिर सुनील को आनन्द के व्यापारिक साझेदारों द्वारा मार दिया जाता है। निशा के माता-पिता चाहते हैं कि वह दोबारा शादी करे। इसलिए आनन्द उससे शादी करता है, क्योंकि वह अब भी उससे प्यार करता है। तब आनन्द को पता चलता है कि सुनील जीवित है और वह उसे घर वापस ले आता है। आनन्द जानबूझकर बुरे लोगों को मारने के बाद खुद को मरवाकर अपना जीवन बलिदान कर देता है। ताकि निशा और सुनील एक हो सकें। आनन्द की इच्छा के अनुसार सुनील और निशा हमेशा खुशी से रहते हैं।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- सनी देओल — आनन्द
- महिमा चौधरी — निशा / शालू
- अपूर्व अग्निहोत्री — सुनील / अशोक
- दीना पाठक — दादी
- कुलभूषण खरबंदा — सुनील और आनन्द के पिता
- रीमा लागू — सुनील और आनन्द की माता
- दलीप ताहिल — नाथ
- मोहनीश बहल — कांति
- आसिफ़ शेख — हेमंत
- राकेश बेदी — कॉलेज प्रिंसिपल
- नवनीत निशान — प्रतिमा
- अली असगर — सुनील का दोस्त
- शोमा आनन्द — विमला
संगीत
संपादित करेंसभी जतिन-ललित द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "कुछ हमारे हैं" | मजरुह सुल्तानपुरी | अलका यागनिक, उदित नारायण | 4:40 |
2. | "तेरे गालों की चाँदनी" | मजरुह सुल्तानपुरी | अलका यागनिक, उदित नारायण | 5:38 |
3. | "प्यार कोई खेल नहीं" | मजरुह सुल्तानपुरी | कुमार सानु | 4:31 |
4. | "नज़र मिलते ही" | मजरुह सुल्तानपुरी | अलका यागनिक, विनोद राठौड़ | 5:22 |
5. | "याद पिया की आने लगी" | ललित सेन | फाल्गुनी पाठक | 5:06 |
6. | "लड़के ने लड़की को छेड़ा" | मजरुह सुल्तानपुरी | अभिजीत | 4:28 |
7. | "अपनी तो लाइफ में" | मजरुह सुल्तानपुरी | आशा भोंसले | 3:37 |
8. | "चाँद सा लल्ला" | इदरीस | सुदेश भोंसले | 4:14 |
9. | "प्यार कोई खेल नहीं" | मजरुह सुल्तानपुरी | कुमार सानु | 1:24 |
10. | "याद पिया की आने लगी (दुःखी)" | ललित सेन | फाल्गुनी पाठक | 4:07 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Bday Spl: पेस के धोखे से सन्न रह गई थी महिमा, अब हैं सिंगल पेरेंट". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 28 मार्च 2024.