प्रतिपाल सिंह भारत के एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वह हमेशा कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में रहते थे। पंडित गोविंद बल्लभ पंत और मुहम्मद फारूक चिश्ती के वह बेहद करीबी थे और पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ बरेली जेल में बंद रहे थे।

ठाकुर प्रतिपाल सिंह राठौर का पैतृक गांव फर्रूखाबाद जिले में मौधा था। लेकिन पिता की मृत्यु के पश्चात उन्होंने अपनी ननिहाल कुर्रियाकलां को अपनी कर्मभूमि बना लिया। सबसे पहले वह 1947 में जिला परिषद के सदस्य चुने गए। 1952 के पहले विधान सभा चुनाव में वह जमौर विधान सभा क्षेत्र (अब ददरौल) से एमएलए चुने गए।

1957 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से एमपी का टिकट मांगा लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता ने उनका टिकट कटवा दिया और उन्होंने गुस्से में आकर कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। वह पार्टी से बगावत करके प्रजा सोसलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़े। तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंदबल्लभ पंत के करीबी होने के कारण वह 1952 से 57 तक वे जिला परिषद के अध्यक्ष भी रहे।

ठाकुर प्रतिपाल सिंह जिले के ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से थे जिन्होंने कभी पेंशन नहीं ली। आजादी की लड़ाई में वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ बरेली जेल में कैद रहे। इंदिरा गांधी हर बार उन्हें दिल्ली बुलाती थीं। महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने कुर्रियाकलां में गांधी विचार प्रचार माध्यमिक विद्यालय भी खोला जोकि जिले का प्रमुख शिक्षा केन्द्र था। ठाकुर प्रतिपाल सिंह का 28 अक्टूबर 1986 को निधन हो गया। अब उनके चार बेटों का परिवार है। लेकिन राजनीति से दूर हैं पौत्र आलोक कुमार सिंह भाजपा से जुड़कर राजनीति में हैं। वर्तमान में वह उत्त्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ के उपसभापति हैं ।