पहल (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ)

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या डीबीटी भारत सरकार का एक नया तंत्र है जिसके माध्यम से लोगों बैंक खातों में सीधे धनराशि अंतरित की जाती है। यह आशा की जा रही है कि बैंक खातों में सब्सिडी जमा करने से लीकेज, देरी, आदि कमियां खत्म हो जाएँगी।[1]

1. प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण योजना (डीबीटी) का उल्‍लेख पहली बार तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2011-12 में अपने केन्‍द्रीय बजट भाषण में किया था। उस समय उन्‍होंने कहा था कि सरकार केरोसीन, एलपीजी और उर्वरकों के लिए नकद सब्सिडी का सीधे भुगतान करना चाहती है।

2. इन वस्‍तुओं के लिए सीधे नकद भुगतान करने के तौर-तरीकों पर विचार करने के लिए नंदन-नीलेकणी की अध्‍यक्षता में एक कार्यदल बनाया गया, जिसने फरवरी 2012 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

पहल (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ) संपादित करें

पहल (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ), भारत सरकार की एक योजना है जिसके अन्तर्गत एक एलपीजी उपभोक्ता को सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि या सब्सिडी सीधे उसके बैक खाते में अंतरित की जाती है। योजना को पहले पहल 1 जून 2013 को शुरू की गई थी और इसमें भारत के 291 जिलों को शामिल किया गया था। योजना का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ता के पास आधार नंबर होना अनिवार्य था। योजना की व्यापक समीक्षा और उपभोक्ता के सामने आने वाली कठिनाइयों की को देखते हुए योजना में यथोचित संशोधन किए गए। संशोधित योजना को प्रथम चरण में 15.11.2014 को 54 जिलों में फिर से शुरू किया गया, और 01.01.2015 को देश के बाकी हिस्सों को भी इसमें शामिल किया गया। संशोधित योजना मुख्यत: आधार संख्या की अनिवार्यता समाप्त करती है और मानती है कि आधार संख्या न होने के कारण किसी एलपीजी उपभोक्ता को एलपीजी सब्सिडी से वंचित नहीं किया जा सकता।

संशोधित योजना संपादित करें

एलपीजी सब्सिडी प्राप्त करने के विकल्प संपादित करें

संशोधित योजना के तहत, एलपीजी उपभोक्ता अपने बैंक खाते में दो तरीकों से सब्सिडी प्राप्त कर सकता है। इस योजना में शामिल होने के बाद ऐसे उपभोक्ता को सीटीसी (कैश ट्रांसफर कंप्लायंट या नगद अंतरण अनुरूप) कहा जाता है और वह सब्सिडी सीधे अपने बैंक खाते में प्राप्त कर सकता है। सब्सिडी प्राप्त करने के दो विकल्प हैं:

  • विकल्प I (प्राथमिक): जहां भी आधार संख्या उपलब्ध है, वहाँ यह नकदी अंतरण का माध्यम बना रहेगा। इसके लिए एक एलपीजी उपभोक्ता को अपने आधार संख्या को अपनी बैंक खाता संख्या और एलपीजी उपभोक्ता क्रमांक से जोड़ना होगा।
  • विकल्प II (द्वितीयक): यदि एलपीजी उपभोक्ता के पास आधार संख्या नहीं है, तो वह आधार संख्या के उपयोग के बिना भी सब्सिडी सीधे अपने बैंक खाते में प्राप्त कर सकता है। इस विकल्प में, उपभोक्ता दो तरीके अपना सकता है;
    • वह अपने रसोई गैस वितरक को अपने वर्तमान बैंक खाते की जानकारी (बैंक खाताधारक का नाम/खाता संख्या/IFSC कोड) प्रदान कर उसे एलपीजी डेटाबेस में दर्ज करवा सकता है। या
    • वह अपने बैंक को अपने एलपीजी उपभोक्ता क्रमांक की जानकारी (17 अंकों की एलपीजी उपभोक्ता पहचान संख्या) दे कर उसे अपने बैंक खाते से जुड़वा सकता है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "DBT(DIRECT BENEFIT TRANSFER)". मूल से 3 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अप्रैल 2016.