प्रायिकता सिद्धांत में प्रत्याशित मान (expected value) अथवा प्रत्याशा मान बलिष्ट माध्य का व्यापकीकरण है। अनौपचारिक रूप से प्रत्याशा मान यादृच्छिक चरों के सम्भावित मानों के समान्तर माध्य का वो मान है जब उनके परिणामों को प्रायिकता से भारित (बलिष्ट) किया जाता हो। चूँकि इसमें समान्तर माध्य काम में लिया जाता है अतः कई बार नमूना आँकड़ों के समुच्चय में प्रत्याशा मान नहीं होता अर्थात यह दिये गये आंकड़ों से भिन्न परास में हो सकता है। अन्य शब्दों में यह मान वास्तविकता में आपकी अपेक्षा से भिन्न हो सकता है।

किसी यादृच्छिक चर का किसी नियत संख्या वाले परिणामों के साथ प्रत्याशा मान सभी सम्भावित परिणामों का बलिष्ट माध्य होता है। सम्भावित परिणामों की संततता की स्थिति में प्रत्याशा मान समाकलन से परिभाषित किया जाता है।

किसी यादृच्छिक चर x के प्रत्याशा मान को अक्सर E(X), E[X] अथवा EX से निरूपित किया जाता है। यहाँ E को भी E अथवा के रूप में लिखा जाता है।[1][2][3]

प्रत्याशा मान के लिए अंग्रेजी अल्फाबेट E का उपयोग 1901 में डब्ल्यू ए व्हिटवर्थ ने आरम्भ किया था। उसके बाद यह वर्ण अंग्रेज लेखकों में लोकप्रिय हो गया। यह वर्ण जर्मन में एर्वार्टंगस्वर्ट, स्पेनी में एस्पेरांजा मैथेमेटिका और फ्रांसीसी में एस्पेयों मैथेमेटिकी को निरूपित करता है।

जब E को प्रत्याशा मान के लिए काम में लिया जाने लगा तो लेखकों ने इसे विभिन्न शैलियों में लिखना आरम्भ कर दिया। इन शैलियों में E (सीधा), E (तिरछा) अथवा   (ब्लैक बोर्ड गहरा) सहित और भी तरीके शामिल हैं।

  1. "Expectation | Mean | Average". www.probabilitycourse.com. अभिगमन तिथि 2020-09-11.
  2. Hansen, Bruce. "PROBABILITY AND STATISTICS FOR ECONOMISTS" (PDF). मूल (PDF) से 2022-01-19 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-07-20.
  3. Wasserman, Larry (December 2010). All of Statistics: a concise course in statistical inference. Springer texts in statistics. पृ॰ 47. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781441923226.