प्रद्योत वंश
प्राचीन भारत और मगध का दूसरा राजवंश
प्रद्योत वंश प्राचीन भारत का एक राजवंश था, जिसका शासन मगध और अवन्ति पर था। प्रद्योत राजवंश ने ल.682 से 544 ई.पू तक 128 वर्षा तक शासन किया था और यह मगध का बृहद्रथ राजवंश के बाद दूसरा राजवंश था। इसके संस्थापक प्रद्योत थे, जो सुनीक (भविष्यपुराण, १.४ के अनुसार शुनक अथवा क्षेमक) के पुत्र (वायुपुराण) थे। प्रद्योत म्लेच्छों (हारहूण, बर्बर, यवन, खस, शक, कामस आदि) से अपने पिता का प्रतिशोध लेने के लिये म्लेच्छयज्ञ करने के कारण म्लेच्छहंता कहलाए। प्रद्योत राजवंश का अंतिम शासक वर्तिवर्धन था, जिसकी हत्या बिंबिसार ने ल. 544 कर दी और मगध पर हर्यक वंश की स्थापना की।[1]
प्रद्योत राजवंश | |||||||||||
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ल. 682 – ल. 544 ई.पू | |||||||||||
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राजधानी | राजगीर (गिरिव्रज) | ||||||||||
प्रचलित भाषाएँ | संस्कृत (मुख्य) मागधी | ||||||||||
धर्म | हिंदू धर्म | ||||||||||
सरकार | राजतन्त्र | ||||||||||
महाराजा | |||||||||||
• ल. 682–659 ई.पू (प्रथम) | महाराजा प्रद्योत | ||||||||||
• ल. 564–544 ई.पू (अंतिम) | महाराजा वर्तिवर्धन | ||||||||||
ऐतिहासिक युग | लौह युग | ||||||||||
मुद्रा | पण | ||||||||||
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अब जिस देश का हिस्सा है | भारत |
शासकों की सूची संपादित करें
क्रम-संख्या | शासक | शासन अवधि (ई.पू) | शासन वर्ष | टिप्पणी |
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1. | महाराजा प्रद्योत | 682–659 | 23 | रिपुंजय की हत्या करने के बाद राजवंश की स्थापना की। |
2. | महाराजा पलक | 659–635 | 24 | महाराजा प्रद्योत का पुत्र |
3. | महाराजा विशाखयूप | 635–585 | 5 | महाराजा पलक का पुत्र |
4. | महाराजा अजक (राजक) | 585–564 | 21 | महाराजा विशाखयूप का पुत्र |
5. | महाराजा वर्तिवर्धन | 564–544 | 20 | महाराजा अजक का पुत्र, वह राजवंश के अंतिम शासक थे और जिसे बिंबिसार द्वारा मगध की गद्दी से 544 ई.पू मे हटा दिया गया और हर्यक वंश की स्थापना की। |
इन्हें भी देखें संपादित करें
सन्दर्भ संपादित करें
- ↑ "हिन्दी⁸ शब्दकोश". मूल से 5 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अप्रैल 2016.