प्रभा वर्मा

भारतीय पत्रकार, कवि और टेलीविजन प्रस्तुतिकर्ता

प्रभा वर्मा कवि , साहित्यकार , गीतकार , सांस्कृतिक कार्यकर्ता और एक ऐसे संपादक हैं जो परंपरागत और इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम दोनों को एक साथ लेकर आगे बढ़ते हैं । कानून में उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है । उनकी कविताएँ परंपरा और आधुनिकता के संगम को दर्शाती हैं। अकादमी पुरस्कार ( नेशनल अकादमी ऑफ लैटर्स ) विजेता इस भारतीय कवि को श्रेष्ठ गीतकार के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार ' रजत कमल ' से भी नवाज़ा गया है।

Prabha Varma

व्यवसाय Poet, lyricist, journalist, television presenter, Media Advisor to the Chief Minister of Kerala
राष्ट्रीयता Indian
शिक्षा MA, LL.B.
अल्मा माटेर Devaswom Board College, Parumala
NSS Hindu College, Changanassery
Kerala Law Academy Law College, Trivandrum
उल्लेखनीय सम्मान Sahitya Akademi Award, Kerala Sahitya Akademi Award, Vayalar Award, Asan Prize, Ulloor Award, Vallathol Award
जीवनसाथी Manorema

उनकी कविताएँ परम्परा और आधुनिकता के संगम से सरोबार हैं । ये कविताएँ कोमल रूमानी भावनाओं, काव्यात्मक बिम्बों की बाहुल्यता , मौलिक और नवीन अभिव्यक्ति की शैली , दार्शनिक दृष्टि और जीवन के सच्चे यथार्थ की गहरी समझ से संपन्न हैं । उनकी काव्यात्मक प्रतिभा प्रयोगवाद और अनुभूतिवाद का श्रेष्ठ मिश्रण है । परंपरा की सूक्ष्म बारीकियों को आत्मसात करते हुए उन्होंने एक नवीन संवेदना की शुरुआत की , जिसने न केवल समकालीन पीढ़ी को प्रभावित किया बल्कि यह आने वाले समय को भी अवश्य ही प्रभावित करेगी । उनकी कविताएँ सरल और उदात्त भाषा में जीवन के सत्य को उजागर करती हैं ।

इस बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार के एक दर्जन से भी ज़्यादा कविता संग्रह , एक उपन्यास , तीन पद्य उपन्यास, समकालीन सामाजिक , राजनीतिक परिवेश और साहित्य पर छह पुस्तकें , आलोचना पर आठ निबंध संग्रह , मीडिया पर एक अध्ययन, 'आफ्टर द आफ्टरमैथ ' नामक एक अंग्रेजी उपन्यास , एक फिल्म कहानी और एक यात्रा विवरण प्रकाशित हो चुके हैं । साथ ही साथ उन्होंने पौराणिक शास्त्रीय संगीतज्ञ शादकला गोविंदा मरार के जीवन पर आधारित मलयालम में 'कला पासम ' नामक एक उपन्यास और ‘शत कलम ' नामक एक फ़िल्म भी लिखी है।

साहित्य अकादमी पुरस्कार ( राष्ट्रीय) , केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार , केरल के ज्ञानपीठ पुरस्कार नाम से विख्यात वयलार पुरस्कार ( 2013) और पदम प्रभा पुरस्कार आदि पुरस्कारों ने उनकी प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिये हैं। वर्मा जी एक अच्छे गीतकार भी हैं। ' नडन’, शीलावती, सायानम, स्थिति, कलापम, ग्रामपंचायत, नगर वधु, वर्षा, हरीन्द्रन उरु निष्कलंकन, ओडियन , कोलाम्बी ( रजत कमल पुरस्कार से पुरस्कृत कृति ) , मरकार अरबी कडलिन्डे सिंहं आदि कुछ ऐसी फिल्में हैं जिनके लिए उन्होंने गीत लिखे।उनके कई गाने बहुत ही जल्दी लोकप्रिय हो गए इन गानों को 1 साल के अंदर ही 100 करोड़ से भी अधिक दर्शक मिलेजैसे कि – उरु चेम्बनीर पू (स्थिति ) . कन्ना नी निनई पदारे ( मरकार अरबी कडलिन्डे सिंह ) । सन् 2006, 2013 , 2017 के श्रेष्ठ गीतों के लिए उन्हें राज्य सरकार के फिल्म पुरस्कार, वर्ष 2008 में नगरवधु और 2013 की 'नडन ' फ़िल्म के श्रेष्ठ गानों का फिल्म आलोचना पुरस्कार और प्रोफेशनल ड्रामा के श्रेष्ठ गानों के लिए वे तीन बार राज्य सरकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सन 2021 में उन्हें ' कोलाम्बी ' फिल्म के गानों के लिए 'रजत कमल ' पुरस्कार से भी नवाजा गया । ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रोफेसर ओ.एन.वी. कुरूप ने एक कवि के रूप में उनकी प्रशंसा करते हुए कहा है कि " सूक्ष्म काव्यात्मक धनवनता उन्हें प्रसिद्ध कवि वयलॉ पिल्ली श्रीधर मेनन से विरासत में मिली है जिन्होंने की स्वयं यह गुण कुमारन आशान से ग्रहण किया है ।प्रसिद्ध आलोचक स्वर्गीय प्रो. एम. कृष्णन नायर ने उनके बारे में लिखा है कि " प्रभावर्मा एक जन्मजात कवि है। "

वर्मा जी 60 से भी ज्यादा पुरस्कारों से सम्मानित व्यक्ति है । जिनमें से मुख्य हैं - वयलार पुरस्कार , आशान पुरस्कार, उल्लूर पुरस्कार , वल्लतोल पुरस्कार , पद्म प्रभा पुरस्कार , वयलॉ पिल्ली पुरस्कार , कुन्जु पिल्लई पुरस्कार ( 1993 ) ,

कृष्ण गीथि पुरस्कार ( 1994 ) , मुल्लूर पुरस्कार ( 1995 ) , चंगम पुष़ा पुरस्कार ( 1997 ) , महाकवि पी पुरस्कारम (1997 ) कथा वनाड पुरस्कार ( 1999 ) , अबुधाभी शक्ति पुरस्कार ( 1988 ) , वेन्नी कुलम पुरस्कार (2003), ऐ. पी. कलक्काड पुरस्कार (2006), कन्नाशा पुरस्कार ( 2011 ) , कडत्त नाड उदय वर्मा पुरस्कारम ( 2006 ), मुल्लनेष़ी पुरस्कार (2012 ) , प्रेमजी पुरस्कार (2012 ) , महाकवि पन्दलम केरला वर्मा कविता पुरस्कारम ( 2016 ) , इडश्शेरी पुरस्कार (2020 ) , पी. केशव देव पुरस्कार , जे केवी कदम्मनिता पुरस्कार और मार ग्रेगोरियस पुरस्कार आदि ।

उनकी सर्वोत्तम रचना श्यामा माधवम एक ऐसा पद्य उपन्यास है जो पन्द्रह अध्यायों में विभाजित काव्यख्यायिका है ।

यह भगवान कृष्ण और उन लोगों के जीवन के इर्द - गिर्द घूमती है जो उनके भूमि पर अवतार के दौरान उनके संपर्क में आए थे , जिसके बारे में कवि का मानना है कि यह परमानन्द की श्रंखला नहीं है, जैसा कि कई लोगों का विश्वास है बल्कि व्यथा है, पीड़ा है।

यह एक एकान्त आत्मा की पीड़ा और उस दुर्लभ साहस का हृदयस्पर्शी निरूपण है जिसके साथ कृष्ण जीवन का सामना करते हैं। प्रस्तुत रचना नाटकीय रूप से मर्मभेदी और उदासीन मनोदशा से प्रारम्भ होती है और उनके स्वर्गारोहण की पराकाष्ठा पर पहुँचती है , उस अन्तराल में वह पाप स्वीकारोक्ति और पश्चाताप की श्रंखला में समय व्यतीत करते हैं | ‘श्यामा माधवम ' एक ओर छंद, अलंकार और दंडक जैसे मैट्रिक पैटर्न का एक विस्तृत स्पेक्ट्रम पेश करता है, वहीं बदलते समय की पृष्ठभूमि के ख़िलाफ़ महानायक की एकाकी आंतरिक आवाज़ की वास्तविक चिंता को सामने लाता है । इस कृति के लिए उन्हें केरल के ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में लोकप्रिय वायलर पुरस्कार 2013 प्रदान किया गया जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला । 'श्यामा माधवम ' को प्रतिष्ठित मालयट्टूर पुरस्कार (2013) से भी नवाज़ा गया । 'श्यामा माधवम ‘ को वर्ष 2020 में केरल राज्य पुस्तकालय परिषद द्वारा दशक की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के रूप में चुना गया । 'श्याम माधवम ‘ का मंचन एक संगीत नाटक के रूप में किया गया था जिसने हज़ारों लोगों को आकर्षित किया था । ‘श्यामा माधवम ' का अंग्रेजी , हिंदी और संस्कृत सहित दस भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है ।

' कणल चिलम्बु ' ( अंगारों की पायल ) एक पद्य उपन्यास है। लगभग पाँच हज़ार शब्दों में समाहित सात अध्यायों में रचित यह रचना प्रेम , वासना , साजिश , शक्ति प्रतिशोध और अनाचार को उजागर करती है । संक्षेप में वे सभी तत्व जो त्रासदियों के निर्माण में सहायक होते हैं, वे सभी इस कृति में मौजूद हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्यार और बदले की यह मार्मिक कहानी एक सदियों पुरानी पहेली का उत्तर देती है जो सवाल उठाती है कि " जब दूध से भरा बर्तन गिर

गया तो दूध वाली क्यों हंसी ? " 'एंकलेट ऑफ फायर' 'श्यामा माधवम ' के बाद प्रभा वर्मा द्वारा लिखी गई दूसरी काव्यात्मक कविता है | 'कणल चिलम्बु ‘ पर आधारित व्यावसायिक नाटक का केरल में 500 से भी अधिक बार मंचन किया जा चुका है । प्रस्तुत कृति भी अंग्रेजी, संस्कृत जैसी अनेक भाषाओं में अनूदित हो चुकी है ।

प्रभा वर्मा का तीसरा पद्य उपन्यास है ‘रौद्र सात्विकम ' जो कि एक ही पात्र कालियेव के इर्द-गिर्द घूमता है । यह रचना पात्र को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अलग करती है और उसकी एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करती है जो कुछ द्विआधारी विपरीततों के बीच सदियों पुराने संघर्ष से संबंधित है जो व्यक्ति और राजनीति दोनों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं । शीर्षक । द्विआधारी विपरीत शब्दों से मिलकर बना है - रौद्र और सात्विकम । मोटे तौर पर क्रमशः जिसका अर्थ है उग्रता और पवित्रता । लेखक की काव्य प्रतिभा वास्तव में एक नए शब्द के निर्माण में प्रतिबिंबित होती है जो दो भागों को दर्शाती है जिनके बीच एक व्यक्ति स्वयं को उसे स्थिति में पता है जब उसे जीवन के कुछ उथल-पुथल भरे क्षणों का सामना करना पड़ रहा हो । सत्ता और राजनीति व्यक्ति और राज्य कला और सत्ता के बीच संघर्ष को एक अनोखे तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

विषयवस्तु का कुछ द्विआधारी विरोधों के बीच संघर्ष द्वारा भी विश्लेषण किया गया है, जो नायक और समाज दोनों की नियति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं – एक जाल जिसमें वह फँस गया है । कला और सत्ता, व्यक्ति और राज्य लोग और सत्ता , शांति और हिंसा , पुरोहित लोकाचार और मैकियावेलियन षड्यंत्र आदि के बीच टकराव को अत्यधिक रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया है वह भी अनोखे मौलिक अंदाज में ।

प्रस्तुत पुस्तकसमय और स्थान की अवधारणा से परे हैऔर धर्म सदाचार की अवधारणा को पुनः परिभाषित करना चाहती है ।एक व्यक्ति जानता है कि धर्म क्या है लेकिन वह इस व्यवहार में नहीं ला पता एक व्यक्ति जानता है कि धर्म क्या है लेकिन फिर भी वह इससे बचने में असफल हो जाता है , यही मानव की दयनीय अवस्था है इस कठिन परिस्थिति से कैसे छुटकारा पाया जाए , इसी शाश्वत प्रश्न को इस पुस्तक में विषय वस्तु में दूरदर्शी आयाम जोड़कर अत्यधिक दार्शनिक तरीके से प्रस्तुत किया गया है ।

यह एक ऐसी किताब है जो वास्तव में बनावट और सामग्री दोनों में ही अलग स्थान रखती है संक्षेप में 'रौद्र सात्विकम ' महाकाव्यात्मक लक्षणों से भरपूर आधुनिक क्लासिक है ।

यह द्विभाषी लेखक जो मलयालम और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में समान उत्साह के साथ लिखते हैं , इस साल अपनी रचनात्मक लेखन के 50 वर्ष पूरे कर रहे हैं ।

कर्नाटक शास्त्रीय संगीत और नृत्य में योगदान :

अपने नाटकों के गीतों के लिए उन्हें दो बार केरल संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिल चुका है । प्रभा वर्मा ने कर्नाटक संगीत समारोहके लिए 40 से अधिक शास्त्रीय कृतियां और दो दर्जन से भी अधिक मोहिनीअट्टम के पदों को लिखा है जो कि केरल का शास्त्रीय नृत्य है । भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी ने उन्हें वर्ष 2016 में प्रदर्शन कला के प्रति उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति भवन में प्रशस्ति पत्र और शॉल देकर सम्मानित किया । केरल में कई जगहों पर (केवल प्रभा वर्मा की रचनाओं पर आधारित ढाई घंटे का समारोह ) उनकी कृतियों को विषयगत संगीत कार्यक्रम के रूप में भी प्रस्तुत किया गया है।

एक पत्रकार के रूप में सन् 1996 में श्रेष्ठ जनरल रिपोर्टिंग के लिए राज्य सरकार पुरस्कार को जीतकर उन्होंने अपने आप को एक श्रेष्ठ पत्रकार भी साबित किया है । सन् 1988, 90 में त्रिवेंद्रम प्रेस क्लब ने उन्हें के. सेबास्टिन पुरस्कार से सम्मानित किया । भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री के.जी. बालकृष्णन द्वारा उन्हें मीडिया ट्रस्ट अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया | अंग्रेजी की श्रेष्ठ फिल्म के लिए उन्होंने के. सी. डेनियल पुरस्कार , बी . आर. अंबेडकर पुरस्कार और के. माधवन कुट्टी पुरस्कार भी हासिल किया ।

एक पत्रकार के रूप में वर्मा जी ने संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आयोजित दोहा अंतरराष्ट्रीय बैठक में 'उभरते लोकतंत्र' विषय पर एक प्रपत्र प्रस्तुत किया । 80 के दशक में उन्होंने उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में आयोजित विश्व युवा महोत्सव में भाग लिया था और 2009 में न्यूयॉर्क में नॉर्थ अमेरिका प्रेस क्लब द्वारा आयोजित मीडिया सम्मेलन में मुख्य भाषण दिया ।

वर्मा जी 2001 से 2010 तक पीपुल टीवी और कैरली टीवी के निदेशक रहे थे और उन्होंने राज्य सरकार के विशेष उल्लेख सहित कई पुरस्कार जीते । उन्होंने जो साप्ताहिक कार्यक्रम इंडिया इनसाइड प्रस्तुत किया वह वर्तमान विश्व की सामाजिक राजनीतिक भूल भुलैया का गहन अध्ययन था । उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सामाजिक प्रभाव पर ' इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और संस्कृति ' नामक पुस्तक भी प्रकाशित की है । उन्होंने एक दशक से भी अधिक समय तक भारतीय संसद के दोनों सदनों में भाग लिया है । गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन, राष्ट्रमंडल बैठक , जी15 आदि कुछ अंतरराष्ट्रीय बैठक हैं जिनमें उन्होंने भाग लिया था ।

वर्मा जी ने संयुक्त राज्य अमेरिका ग्रेट ब्रिटेन,रूस , उत्तर कोरिया और मलेशिया सहित कई देशों की यात्रा की है । सन् 2007 में वे साहित्य अकादमी दिल्ली की जनरल काउंसिल के सदस्य और सन् 2008 और 2010 के बीच वे केरल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष रहे। बाद र्में वे साहित्य अकादमी दिल्ली (नेशनल एकेडमी ऑफ़ लेटर्स ) के कार्यकारी सदस्य भी नियुक्त हुए । सन् 2016 में वे ज्ञानपीठ पुरस्कार के निर्णायक मंडल के सदस्य रहे । वर्तमान में वह केरल के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं । वह कुसाट (कोचीन यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ) की सीनेट के सदस्य हैं ।

वे साहित्य अकादमी के दक्षिण भारत के प्रादेशिक संयोजक रहे हैं । साथ ही साथ सन् 2022 तक अकादमी की भाषा सलाहकार समिति के संयोजक और कार्यकारी बोर्ड सदस्य भी रह चुके हैं । उनके परिवार में उनकी पत्नी मनोरमा , पुत्री ज्योत्सना , दामाद कर्नल के.वी. महेंद्र और ज्योर्तिमहेंद्र ,जान्हवी महेंद्र नाती , नातिन हैं ।

पता :

आर्द्रम , 308 A , 3 एवेन्यू , ए.के. जी. नगर ,पेरुर्कडा त्रिवेन्द्रम , केरल – 695005 , दूरभाष – 9447060108

प्रभा वर्मा की रचनाएँ : संपादित करें

  • पद्य उपन्यास : 1. श्यामा माधवम ( डी.सी. बुक्स से प्रकाशित ) 2. कणल चिलम्बु ( डी.सी. बुक्स से प्रकाशित ) 3. रौद्र सात्विकम ( डी.सी. बुक्स से प्रकाशित ) कविता संग्रह : 1 . सौपर्णिका - डी. सी.बी. 2. अर्क पूर्णिमा – डी. सी.बी. 3. चंदना नष़ी – मलबेरी 4. काल प्रयाग – डी. सी.बी. 5 . आर्द्र - डी. सी.बी. 6 . मंजिनोडु वेल यन्न पोलेयुम – एस.पी. सी. एस. 7. अपरिग्रह -मातृभूमि 8. पोन्निन कोलुस्सू - – डी. सी.बी. 9. अविचरितम – डी. सी.बी. 10 . ओट्टी कोडुतालुम एन्नेयन स्नेहमे – डी. सी.बी. 11 . प्रभा वर्मायुडे की चुनी हुईं कविताएँ उपन्यास : आफ्टर दा आफ्टरमैथ (अंग्रेज़ी ) इंडस प्रकाशन बैंगलूर आलोचनात्मक निबन्ध : 1. रतियुडे काव्य पदम 2. तांत्रि लय समन्वितम 3. पारायणतिन्डे रीति भेदग्गंल 4 . केवलत्वकुम भावकत्ववुम 5 . संध्यायुडे एकान्त यात्रा 6 . प्रभा वर्मा के काव्य प्रबन्ध मीडिया : 1 . संसकारिक और इलेक्ट्रोनिक मीडिया : एक अध्ययन 2 . ऐन्निलेक ओरु जालकम संस्मरण : 1 . दल मरमरम 2 . दिल से दिल्ली से 3 . नमामि मनसा शिरसा यात्रा विवरण : 1 . डायरी ऑफ मलेशिया 2 . त्रिपुरा डायरी निबंध : ऐन्दुकोन्ड फ़ासिज़्म प्रभा वर्मा की रचनाओं पर आधारित पुस्तकें : ● श्यामा माधवम पर विद्वान आलोचकों के चालीस निबांधों का अध्ययन ( राज्य भाषा संस्थान से प्रकाशित ) ● श्यामा माधवम और कणल चिलम्बु के सौन्दर्यात्मक पहलू नाम से डॉ. एन.वी.पी. उण्णीतरी की दो पुस्तकें ● कणल चिलम्बु पर महिला साहित्यकारों की एक पुस्तक

सम्मान संपादित करें

काव्य :

1. साहित्य अकादमी पुरस्कार ( नेशनल अकादमी ऑफ लैटर्स )

2. केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार

3. वयलार पुरस्कार

4. वल्लथोल पुरस्कार

5. आशान पुरस्कार

6. उल्लूर पुरस्कार

7. वयलापल्ली पुरस्कार

8. चेंगमपुष़ा पुरस्कार

9. पद्म प्रभा पुरस्कार

10. कृष्ण गीति पुरस्कार

11. राज्य पुस्तकालय समिति पुरस्कार ( सदी की श्रेष्ठ पुस्तक के लिए )

12. इडश्शेरी पुरस्कार

13. महाकवि पन्दलम केरला वर्मा पुरस्कार

14. महाकवि पी कुंजीरामन नायर पुरस्कार

15. वेनमणि पुरस्कार

16. एन. वी. कृष्ण वारियार पुरस्कार

17. पी. केशवदास पुरस्कार

18. महाकवि वेन्णी कुलम पुरस्कार

19. प्रेमजी पुरस्कार

20. मुल्लनेष़ी पुरस्कार

21. अब्रहम मदमक्कल साहित्य पुरस्कार

22. त्रावणकोर स्टेट बैंक साहित्य पुरस्कार

23. कुन्जु पिल्ला पुरस्कार

24. वी. टी. कुमारन मास्टर पुरस्कार

25. कथिरूर सर्विस कॉ ऑपरेटिव बैंक वी . वी. के वालत पुरस्कार ।

26. जे.के. वी पुरस्कार ।

27. कदमानिता कविता पुरस्कार

28. ए. पी. कलक्काड पुरस्कार

29. अबू धाबी शान्ति पुरस्कार

30. मूलूर पुरस्कार

31. उदयवर्मा राजा पुरस्कार

32. अंगनम पुरस्कार

33. प्रो. कोष़िश्शेरी बालरामन पुरस्कार

34. उल्लूर सर्विस कॉऑपरेटिव बैंक पुरस्कार

35. कन्नासा पुरस्कार

36. सिद्धार्थ साहित्य पुरस्कार

37. श्री रामोत्सव साहित्य सम्मान

38. कुंजन नम्बियार सम्मान

39. कोवलम कवि स्मृति पुरस्कार

40. माधव मुद्रा साहित्य पुरस्कार ( त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड)

41. अक्षर दीपं काव्यश्री पुरस्कार

42. कोमपारा नारायणन नायर पुरस्कार

43. मलयाटटूर पुरस्कार

44. मलयाटटूर सरस्वती पुरस्कार

45. बहराइन केरला समाज पुरस्कार

46. केरल विश्वविद्यालय युवा महोत्सव में प्रथम स्थान

47. तेक्कु ऋषि पुरस्कार

48. प्रबोधिनी साहित्य पुरस्कार

49. कोल्लम पुस्तकालय समिति पुरस्कार

50. वयलार राम वर्मा संसकारिक समिति पुरस्कार

51. ऐष़ुमंगलम पुरस्कार

52. टी. एस. तिरुमुम्ब पुरस्कार

53. खसाक पुरस्कार

54. विश्व साहित्य फोरम पुरस्कार


सदाबहार गाने

1. रजत कमल : श्रेष्ठ गानों केलिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरकार

2. चार बार श्रेष्ठ गायक का राज्य सरकार पुरस्कार

3. तीन बार केरल संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

4. सत्यजीत राय फाउंडेशन पुरस्कार

5. अडूर भाषी मूवी दूरदर्शन पुरस्कार

6. प्रेम नसीर मित्र समिति पुरस्कार

7. जेसी डेनियल फाउंडेशन पुरस्कार

8. केरला विशन सिनेमा पुरस्कार

9. मलयालम दूरदर्शन समाचार दृश्य पुरस्कार

10. फिल्म आलोचना पुरस्कार

11. बिग स्क्रीन पुरस्कार


सांसकारिक :

1. मार ग्रिगोरियस पुरस्कार

2. वैक्कम मौलवी फाउंडेशन ट्रस्ट पुरस्कार

3. प्रो. ए. सुधाकरन मेमोरियल पुरस्कार

4. डॉ. एन.ए. करीम फाउंडेशनपुरस्कार

5. केरल कला पुरस्कार

6. कुवैत कला वी. सम्बाशिवन पुरस्कार

7. अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार

8. श्रीकांतेश्वरम पुरस्कार

9. इंडीवुड पुरस्कार


मीडिया :

1. श्रेष्ठ रिपोर्टिंग केलिए केरल सरकार का पुरस्कार

2. के.वी. डेनियल पुरस्कार ( टेलीग्राफ )

3. के. माधवन कुट्टी पुरस्कार (श्रेष्ठ अंग्रेजी फ़ीचर )

4. के.सी. सेबास्टियन पुरस्कार

5. श्रेष्ठ इलेक्ट्रोनिक मीडिया लेखन केलिए राज्य सरकार की विशेष बधाई की पात्र ।

कविता