किसी कहानी या नाटक के मुख्य पात्र को नायक/नायिका या प्रमुख पात्र (प्रोटागोनिस्त) कहते हैं। कथा में मुख्य निर्णय नायक ही लेता है जो कथानक को प्रभावित करता है और इसे आगे बढ़ाता है। नायक को ही सबसे अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। यदि किसी कथा में एक उपकथा हो कई कहानियों से बना एक आख्यान हो , तो प्रत्येक उपकथा का अपना नायक हो सकता है।

नायक/नायिका, खलनायक/खलनायिका, दुःख सहकर मृत्यु को प्राप्त होने वाले नायक/नायिका आदि अनेक प्रकार के प्रमुख पात्र (प्रोटागोनिस्ट) होत सकते हैं।