प्रमेह
प्रमेह या गोनोरिया एक यौन संचारित बीमारी (एसटीडी) है। संस्कृत भाषा में 'डायबिटीज़' का समानार्थक शब्द है 'प्रमेह', क्योंकि 'प्रमेह' का शाब्दिक अर्थ 'प्रवाहित होना' ही होता है। आयुर्वेद में भी उन सब बीमारियों को 'प्रमेह' नाम दिया गया है, जो मूत्र-मार्ग से सम्बन्धित हैं और इस सन्दर्भ में मधुमेह भी एक प्रकार का प्रमेह है। चरक एवं सुश्रुत संहिताओं में कई स्थानों पर मधुमेह को 'प्रमेह' कह कर पुकारा है।[1] गोनोरिया नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु के कारण होता है जो महिलाओं तथा पुरुषों के प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं। गोनोरिया शिश्न, योनि, मुंह या गुदा के संपर्क से फैल सकता है। गोनोरिया प्रसव के दौरान मां से बच्चे को भी लग सकती है।
गोनोरिया वर्गीकरण व बाहरी संसाधन | |
आईसीडी-१० | A54 |
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आईसीडी-९ | 098 |
एमईएसएच | D006069 |
प्रकार
संपादित करेंआयुर्वेद के अनुसार प्रमेह 20 प्रकार के होते हैं जिसमे से 10 प्रकार कफ की विकृति से, 6 पित्त की विकृति से एवम 4 वात दोष की विकृति से उत्पन्न होते हैं। जुवेनाइल डायबिटीस या बच्चों में पाई जाने वाली जन्मजात प्रमेह का कारण माता-पिता द्वारा किये गये निषिद्ध कर्मों का परिणाम् भी हो सकती है, यह वर्णन भी आयुर्वेद के ग्रंथों में पाया जाता है। परंतु प्रमेह का मुख्य कारण है- दैनिक जीवन शैली में व्यायाम की कमी और गुरु, स्निग्ध और कफ़ वर्धक भोजन का आवश्यकता से अधिक सेवन ।[2]
लक्षण
संपादित करेंकिसी भी यौन सक्रिय व्यक्ति में गोनोरिया की बीमारी हो सकती है। जबकि कई पुरुषों में गोनोरिया के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते तथा कुछ पुरुषों में संक्रमण के बाद दो से पांच दिनों के भीतर कुछ संकेत या लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कभी कभी लक्षण दिखाई देने में 30 दिन भी लग जाते हैं। इनके लक्षण हैं- पेशाब करते समय जलन, लिंग से सफेद, पीला या हरा स्राव। कभी-कभी गोनोरिया वाले व्यक्ति को अंडग्रंथि में दर्द होता है या वह सूज जाता है। महिलाओं में गोनोरिया के लक्षण काफी कम होते हैं। आरंभ में महिला को पेशाब करते समय दर्द या जलन होती है, योनि से अधिक मात्रा में स्राव निकलता है या मासिक धर्म के बीच योनि से खून निकलता है।
गर्भवती महिला और बच्चे पर प्रभाव
संपादित करेंयदि गर्भवती महिला को गोनोरिया है तो बच्चे को भी गोनोरिया (गानोरिया) हो सकता है क्योंकि बच्चा प्रसव के दौरान जन्म नलिका (बर्थ कैनाल) से गुजरता है। इससे बच्चा अंधा हो सकता है, उसके जोड़ों में संक्रमण हो सकता है या बच्चे को रक्त का ऐसा संक्रमण हो सकता हो जिससे उसके जीवन को खतरा हो सकता है। गर्भवती महिला को जैसे ही पता चले कि उसे गोनोरिया (गानोरिया) है तो उसका उपचार कराया जाना चाहिए जिससे इस प्रकार की जटिलताओं को कम किया जा सके। गर्भवती महिला को चाहिए कि वे स्वास्थ्य कार्यकर्ता से परामर्श करके सही परीक्षण, जांच और आवश्यक उपचार करवाए।
रोकथाम
संपादित करेंइस बीमारी से बचाव का सबसे सुरक्षित तरीका अजनबियों या रोग से पीड़ित व्यक्ति से शारीरिक संबंध नहीं बनाना है। कोई भी व्यक्ति एक वफादार साथी का साथ पाकर और स्वयं अपने साथी के प्रति वफादार रह कर इस बीमारी से बच सकता है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Sharma, Dr Jaganath (1993). Madhumeh Evam Chikitsa. Kitabghar Prakashan. पृ॰ 10. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788188118205.
- ↑ Kumar, Dr Ajay (2019-03-15). मधुमेह चिकित्सा: Diabetes Management (ebook) (अंग्रेज़ी में). Dr. Ajay Kumar.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंगोनोरिया से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |