डा.प्रवीण पण्ड्या संस्कृत के चर्चित कवि, आलोचक, अध्येता एवं चिन्तक हैं। जन्म 11फरवरी 1979 को हुआ।

आप साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2012, अखिल भारतीय स्तर के माघ पुरस्कार 2016, राजस्थान सरकार के राज्यस्तरीय युवविद्वत्सम्मान 2013 एवं साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार[मृत कड़ियाँ] 2017 से सम्मानित हैं। इनके मौलिक, अनूदित और संपादित 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। ज्योतिर्ज्वालनम् (2003), [1]उद्बाहुवानता (2006), जीवातुरसमाध्वीकम् (2010), अधरोत्तमारणि (2015) इनके मौलिक संस्कृत काव्य हैं। अभिराजयशोभूषणम् : ससमीक्षमधीतिः (2014) अभिनवकाव्यालंकारसूत्रम्ः सालोचनं विमर्शः (2014), समकालिकं काव्यशास्त्रम्: विश्लेषणं विचारश्च (2014) समीक्षा पुस्तकें हैं।  

आपने महात्मा गान्धी की विश्वविख्यात कृति हिन्द स्वराज का संस्कृत में हिन्दस्वराज्यम्(2013) नाम से अनुवाद किया है। [2]सौन्दर्यस्रोतस्विनी नर्मदा (2015) साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत संस्कृत अनुवाद हैं। काव्यशास्त्र के महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों—वागीश्वरीकण्ठसूत्र (2010), काव्यसत्यालोक (2013) का सानुवाद संपादन किया है।

साहित्य अकादेमी से संस्कृत समकालिक काव्य के प्रतिनिधि संग्रहों के रूप में प्रकाशित 'कल्पवल्ली'(2013), 'द्राक्षावल्ली' (2016) एवं हर्षदेव माधव द्वारा संपादित 'कविभारती' (2011) में इनकी रचनाएँ सम्मिलित है। अनेक संस्कृत कविताओं का वागर्थ, इंडियन लिटरेचर, कोलीकाता लेटरप्रेस आदि हिन्दी अंग्रेजी पत्रिकाओं तथा गुजराती में हुआ है। दूसरे संस्कृत काव्यसंग्रह उद्बाहुवामनता पर कोटा विश्वविद्यालय कोटा एम.फिल शोधकार्य हुआ है। वीर नर्मद यूनिवर्सिटी के पोस्ट ग्रेजुएशन के पाठ्यक्रम में इनकी कविताएँ स्थानित हुई हैं। कई पुस्तकें प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में संदर्भ ग्रन्थ के रूप में अनुशंसित है।

           डा.पण्ड्या आधुनिक संस्कृत साहित्य एवं साहित्यशास्त्र के प्रतिष्ठित आलोचक हैं। आपके लेखों में भारतीय मनीषा के संदर्भों की टकराहट में अधुनातन वैचारिक संदर्भों पर चिन्तन है। आपने उत्तर आधुनिक विमर्श एवं समकालीन संस्कृत काव्यशास्त्र आदि लेखों में न केवल संस्कृत अपितु उससे जुड़ी हुई पूरी भारतीय अवबोध परम्परा के सांस्कृतिक संदर्भों एवं मूल्यों का अनुसन्धान किया है। शतपथ, ऐतरेय ब्राह्मण एवं यजुर्वेद के विशिष्ट अध्येता हैं। अभी यजुर्वेद अध्ययन की विशेष परियोजना पर काम कर रहे हैं। उवट, महीधर, सायण, मधुसूदन ओझा एवं महर्षि अरविन्द की वेदचिन्तन की दृष्टियों का अध्ययन किया है। काव्यशास्त्र, काव्यालोचन, वैदिक चिन्तन आदि विभिन्न विषयों पर अनेक गंभीर विमर्शात्मक आलेख प्रकाशित हैं।

  1. Paṇḍyā, Pravīṇa, 1979- (2006). Udbāhuvāmanatā. Rāṣṭrīya Saṃskr̥ta Sāhitya Kendra. OCLC 79256451. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 2006448565 |isbn= के मान की जाँच करें: checksum (मदद).सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  2. Soundaryasrotaswini Narmada. Dehli: Sahitya Akademi, New Delhi. 2015. पृ॰ 203. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-260-4786-4.