प्रेमानंद बाणी ब्रह्मचर्य

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शेर महाराज जी हम सब साधकों की तरफ से एक प्रश्न है कि कोई भी ब्रह्मचर्य नाश की क्रिया ना करने पर भी कुछ दिनों में ब्रह्मचर्य क्षीण हो जाता है स्वपन दोष हो जाता है जी फिर हम बहुत चिंतित होते हैं यह क्यों होता है इससे बचने का उपाय क्या है स्वप्न दोष होने पर भी क्या हम ब्रह्मचारी हैं इस विषय में हम जानना चाहते हैं कि हम क्या करें जिससे स्वपन दोष ना हो

जी हमने जो परमहंश स्थिति को प्राप्त महापुरुष है उन्हीं से बाल्यावस्था में जब घर से निकले थे तो कुछ समय बाद य प्रश्न किया था नजबगढ़ स्थान गंगा किनारे है श्री ओंकारानंद सरस्वती जी उनका नाम था व अंतर ध्यान हो चुके उनसे प्रश्न किया था कि महाराज जी कोई भी शारीरिक काम चेष्टा ना होने पर भी उपासक के शरीर से जो वीर्यपात होता है क्या उसका ब्रह्मचर्य क्षीण माना जाएगा यदि क्षीण माना जाएगा तो व क्यों निकलता है जब उसकी कोई क्रिया नहीं उसे कैसे रोका जा सकता है तो जो उन्होंने बताया था उस समय साधारण शब्दों में वीर दो तरह से निकलता है एक तो जो घातक है वह उसी के शरीर से निकलेगा जिसने हस्तमैथुन किया है या गंदी क्रियाएं करके बच्चा से ही वीरी को नष्ट किया है जैसे 12 13 वर्ष की अवस्था है और उस अवस्था से आप अपने कुसंग के कारण वीर का नाश कर रहे हैं तो कुछ वर्षों तक हस्त मैथुन करने वाला या अन्य गंदी चेष्टा करने वाला यह नहीं जान पाता है कि इसके द्वारा मेरी हानि हो रही व नहीं समझ पाता क्योंकि जीवनी शक्ति भगवान अपनी तरफ से देते हैं वो बिल्कुल ना खाए और हस्त मैथुन करे तो भी उसको समझ में नहीं आएगा कुछ समय के बाद जब उसकी स्थाई जीवनी शक्ति से क्षीण होना प्रारंभ हो जाएगा तब उसे वो लक्षण जो हस्त मैथुन करने से नाश ऐसे उस प्रसंग में बताया गया वह लक्षण उसके जीवन में उत्पन्न होने लगते हैं अब यदि वह किसी संग के प्रभाव से हस्त मैथुन बंद कर देता है तो उसका वीर्यपात होगा अगर वह तीन दिन में वीर्यपात करता रहा है तो तीन दिन में वीर पात होगा पक्का होगा क्योंकि उसका अभ्यास बन गया है


दो तरह का वीर पात माना जाता है एक जैसे आप ठीक दिनचर्या से चल रहे हैं आपका खानपान संयम सब ठीक पहली बात तो यह है कि जिसने कभी हस्त मैथु नाद के द्वारा वीर पात किया ही नहीं उसका असली वीर कभी पात होगा ही नहीं बात पक्की समझ लेना यह जीवन के अनुभव की बात करहे हैं इसमें मतलब क्यों म लगाने की जरूरत नहीं आप खुद देख लीजिएगा यदि आप आपने कभी हस्त मैथुन नहीं किया कभी किसी भी तरह से जनदरी का घर्षण करके वीर्यपात नहीं किया तो आपकी वह संतान उत्पत्ति की क्षमता वाला जो वास्तविक वीर है वह स्वाभाविक निकल ही नहीं सकता यदि आपने मार्ग दे दिया है फिर उसके निकलने का मार्ग हो गया है तो एक होता है परमहंश जी ने बताया कि एक होता है कि आप सो रहे हैं और आपको बिल्कुल पता नहीं मतलब बिल्कुल कोई काम का संकल्प नहीं कोई क्रीड़ा नहीं आप जगे आपको ऐसा लगा कि वीर्यपात हो गया वह दोष नहीं है जैसे जब हम गुड़ बनाते हैं तो उसमें गंदा फेन निकलता है ऊपर पतई कहते गांव में जैसे अरहर की दाल जब उबा जाती थी गांव में तो ऊपर उसका फेन निकलता है ऐसे ही यह शरीर का विकार निकला ना कि ब्रह्मचर्य नष्ट करने वाला वीर्य


बहुत ध्यानपूर्वक सुनने लायक उपासक को उसमें परेशान नहीं होना आपको बिल्कुल पता नहीं चला कोई चेष्टा नहीं हुई किसी भी तरह की हरकत नहीं हुई और आप जगे आपको लगा कि वो हमारे वस्त्र गंदे हो गए तो वह आप ब्रह्मचारी ही है आपके ब्रह्मचार्य का नाश नहीं हुआ वह जीवनी शक्ति नहीं निकली और आप हस्त मैथुन या अन्य क्रियाओं द्वारा वीर पात करते रहे और आज आपने रोक दिया कि आज से नहीं करूंगा तो बंद नहीं हो जाएगा वो चलेगा अगर आप ठीक नियम से च तो छ महीना लगेंगे आपको उसको कवर करने में छ महीना लगेंगे अगर आपने प्रमाद स्थिति की व तो निकल ही जाता है फिर हमको करने से क्यों मना किया जाता है तो आप देख लेना कुछ समय बाद आपकी हालत बहुत गंभीर हो जाएगी जो आप बता भी नहीं पाएंगे किसी से क्या गंभीर हो जाएगी आप ऐसे ही साधारण क्रियाओं में ब्रह्मचर्य हीन हो जाएंगे ऐसे ही छुए वैसे आप ब्रह्म चरन हो जाए यह हम सब महापुरुषों के अनुभव और मिले हुए लोगों से सैकड़ों लोग ऐसे मिलते हैं जो अपनी स्थितियों को बताते हैं तो जो संत महापुरुषों ने जीवन में अनुभव किया है उसके आधार पर पहले साधक को चाहिए कि यह देख ले कि हमारे द्वारा कोई हस्त मैथुन आदि क्रियाए जो निंदनीय क्रिया व तो नहीं हो रही एक हमारे अंदर मान्यता बैठ गई है कि वीर छरण में ही आनंद है यह साधक को छोड़ना होगा जिनके दिमाग में बैठ गया है कि वीर चरण करना कुछ लोग कहते हैं आप हस्त मैथुन को मना करते हैं और ब्याह हुआ नहीं है तो क्या करें बलात्कार करें ऐसे दुष्ट लोग हैं क्या तुम्हारा जीवन का आनंद केवल इतना ही है एक भागवत विधान है जब आपका ब्याह हो तो संतान उत्पत्ति के लिए वह मार्ग तब तक आप ब्रह्मचारी रहे क्या इतने इंद्रियों के गुलाम हो गए क्या इतना ही केवल आपने सुख समझ लिया तो फिर आप आप देखना कि आगे आपको यह मन किस दशा में पहुंचा देता है तो तो जो नौ युवक जन है साधक जन है वीर्यपात में यदि उनका कोई स्मरण नहीं रहा और वीर्यपात हो रहा तो घबराने की जरूरत नहीं और यदि स्वप्न में आपने स्त्री आदि का संयोग देखा या कोई ऐसी घर्षण आदि क्रिया हुई या कोई ऐसी कामोत्तेजना जनित और फिर आपका वीर्यपात होता है तो आपके गंदे विचार और पूर्वाभ्यास के कारण होता है यह बहुत ही गंदी बीमारी है जो आपको अंदर ही अंदर खोखला करती जा यह जो शुक्र पात वीर पात वीर स्खलन स्वप्न दोष जिसे कहा जाता है यह दह की वीर पात और व्याध की वीर पात दह की वीर पात जो स्वाभाविक हो जाता है उसमें बिल्कुल आपकी हानि नहीं कोई दोष नहीं और जो य व्याध की वीर्यपात है यह बहुत हानिकारक है य आपके जीवनी शक्ति को नष्ट कर देने वाला है इसलिए इससे सावधान रहे सबसे पहली बात ऐसे लोगों का कदापि संग ना करें जो हस्त मैथुन करते हैं जो ऐसे लोगों का कदापि संग ना करें जो गंदी तरीके से वीर्य का नाश करते हैं वीर्य संतान उत्पत्ति के लिए शास्त्र आदेश करता है मनोरंजन के लिए नहीं यह मनोय जीवनी शक्ति मनोरंजन का भी भाग नहीं है पहली बात इस स्वप्न दोष से निकलने के लिए हस्त मैथुन को पूर्णतया बंद कर दिया जाए अगर आप सद गृहस्थ भी हो चुके तो कुछ महीने के लिए आप अखंड ब्रह्मचर्य का नियम ले जब तक आपका वीर्यपात होना ठीक ना हो जाए आप हानिकारक जो काम उतेजना बढ़ाने वाले भोजन है उनको छोड़िए जैसे अत्यधिक नमक बहुत कड़वी लाल मिर्च और जैसे बहुत ही मीट मसाला आदि जो बहुत ही कड़वा तीखा ऐसा गर्म मसाला और बिल्कुल गरमागरम भोजन यह आपके स्वप्न दोष के ठीक होने की बात है यदि आप स्वप्न दोष से बचना चाहते हैं तो अत्यधिक नमक बहुत कड़वी मिर्च बहुत ही वह उष्ण गरमागरम भोजन बहुत गर्म मसाले से बना हुआ भोजन और अत्यंत खट्टी चटनी जैसे इमली की है कच्चे आम की चटनी है और मांस ये जो लोग कहते हैं कि मांस ताकतवर होता तुम्हारी चर्बी बढ़ा देगा ताकत नहीं ताकत कहते हैं संकल्प शक्ति को ताकत शरीर शक्ति प्रधानता नहीं होती संकल्प शक्ति का एक महात्मा पूरे समुद्र को अंजुली में पी गया देखो संकल्प शक्ति शरीर की शक्ति एक सीमित शक्ति है संकल्प शक्ति एक महान शक्ति है जो ब्रह्मचर्य से युक्त होता है उसकी संकल्प शक्ति बढ़ती है भले आप मांस खाकर मोटी चर्बी और आप व्यायाम करके दिखा सकते कि देखो मैं ब्रह्मचर्य क्षीण करता हूं लेकिन बलवान हूं लेकिन आप आत्म शक्ति हीन है वो आपका मोटा हो जाना बलवान नहीं है आपके सुंदर सुंदर मांस पेशिया निकल आना वो बल नहीं है आप शक्ति बलवान वो है जो आए हुए आंतरिक वेग को सह जाए आए हुए आंतरिक वेग को जो सह गया वही बलवान है यह जो मछली अंडा मांस खाते हैं यह कभी इस रोग से मुक्त नहीं हो पाएंगे और जो लोग कहते मैं तो खाता हूं मेरे अंदर नहीं विश्वास मत मानना पक्का झूठा है वो जो शराब पीता है वो अपने वीर्य को पवित्र नहीं रख पा चाहे गृहस्थ हो चाहे व्यापारी हो चाहे किसी भी तरह की स्थिति में हो सावधान हो जाओ यह शराब आपके जीवन को नष्ट कर देगी ब्रह्मचर्य में अपने आप एक अनुवाद है आप देखो जिन बच्चों ने ब्रह्मचर्य छेड़ नहीं किया है उनको देखो कैसे उछलते हैं कैसे कूदते हैं बिजली की तरह उनके शरीर में स्फूर्ति होती है एक उन्मत है गाते हैं क्यों वो उन्माद पैदा कर रहा ब्रह्मचर्य आनंद का उन्माद और जो ब्रह्मचर्य क्षीण किए होते मक्खी उड़ाए नहीं उड़ती आगे देख लेना खुद आप देख लेना इसलिए जो लोग ऐसा आपको सपोर्ट करते हो कि आप ब्रह्मचर्य क्षीण करो चिंता मत करो अंडा खाओ पावर होता है आप मछली खाओ आप मांस खाओ आप यह बिल्कुल ऐसे लोगों का संगन करो कभी यह मत खाओ जो अधिक खट्टे पदार्थ अधिक तले पदार्थ लहसुन प्याज के बने हुए पदार्थ और बाशी खट्टा दही बासी भोजन तिक्त पदार्थ भुने हुए सूखे पदार्थ और यह जो खट्टे फल हैं इनको खाया जाएगा तो स्वप्न दोष नहीं ठीक होगा क्योंकि यह सब वीर शक्ति का क्षरण कराने वाले पतला कर देने वाले आप जैसे बहुत गरमागरम पाइए बहुत तीखा पाइए तो आपके अंदर कामों तेजना पैदा होगी आप जान नहीं पाएंगे चिंतन बनेगा और वीर स्खलित होने का संयोग बन जाएगा आप सात्विक भोजन करें जैसे दूध है गेहूं की रोटी है थोड़ा सा गाय का घी है थोड़ा मक्खन खन है सोठ है मूंग की दाल है उबली हुई आलू है केला है ताजा दही है और थोड़े ताजे ये बादाम आदि भी अगर आपको जरूरत लगे तो और सुंदर चावल घी चीनी ये ये जो मतलब सात्विक आहार है और बहुत स्वादिष्ट बनता है ऐसा कोई ना समझे कि प्याज लासुन और मसाला मसूला ना पड़े तो अच्छा नहीं लगता आप कैसी बात कर बिल्कुल स्वादिष्ट के आप चाटते चले जाओ ऐसे ऐसे ऐसे स्वादिष्ट थोड़ा अंगूर मीठे संतरास सेव अनार ये स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएं आप ले सकते हैं लेकिन ऐसे वस्तु जो आपके ब्रह्मचर्य को नष्ट करें यह पहले भोजन छोड़े ध्यान दीजिए आप पहले ऐसे व्यक्ति का संग छोड़े जो हस्त मैथुन कराने के लिए उत्साहित करे या जो गंदे आचरण में चाहे वोह स्त्री साधक हो या पुरुष साधक दोनों सावधान यह रोग एक में ही नहीं होता यह रोग दोनों शरीर धारियों में होता है कामोत्तेजना दोनों को आती है गंदे संग के कारण दोनों साधक गंदी आचरण कर बैठते हो दोनों इस रोग से पीड़ित होते पुरुष तो इस रोग को प्रकट कर देता है माताएं बहने इस रोग को प्रकाशित नहीं कर पाती लेकिन पीड़ित होती इस रोग से यदि सावधान उपासक ना चले तो चाहे स्त्री शरीर हो चाहे पुरुष शरीर उसको कष्ट होता है दूसरी बात इसमें सहयोग है 4 बजे उठना यह जो लोग सुबह 8 बजे तक 9 बजे तक सोते रहते हैं और सोचते रहते हैं कि हम ब्रह्मचर्य रह पाएंगे या स्वप्न दोष से निकल पाए कभी नहीं हो सकता भगवान सूर्य जब उदय होते हैं तो आपकी आत्मशक्ति नष्ट होने लगती है यदि आप उठ कर के उनका स्वागत ना करें अर्घ न दे प्रणाम न करें जगक भगवन नाम जप ना करें 4 बजे से 6 बजे तक का समय पूरे 24 घंटे के लिए पावर वाला समय है यदि उस समय आप सो रहे हैं तो हमारी बात भी ना सुने वह इस काबिल नहीं कि इसको धारण कर सके जो सुबह 4 बजे से 6 बजे तक सोएगा ब्रह्मचारी रह ही नहीं सकता रह ही नहीं सकता पक्का कुछ लोगों को लगता है कि एक दो बजे ही स्वपन दोष हो जाता है 4:00 बजे की आवश्यकता नहीं तुमने गलत आदतें की तुमने अपनी नस नाड़ियों को इतनी इतनी घर्षण शक्ति से कमजोर कर लिया है क् रोकने की क्षमता नहीं रखी तो आपको उदास नहीं होना ऐसा भोजन छोड़ो ऐसा संग छोड़ो और 4 बजे जगो जगने पर तत्काल आप बाशी पानी पिए ताम के तांबे के पात्र में रखा हुआ पानी और लीटर दो लीटर पिए ऐसा ना करें कि आप एक गिलास में छोटा कस की पीजिए अगर उल्टी हो जाती तो और अच्छा है आप पी के तो देखिए वज्रासन में बैठकर जल पीजिए फिर थोड़ा टहल सोच जाइए आप गृहस्थ हो विरक्त हो कोई भी हो अगर आप शुद्ध ब्रह्मचर्य रहना चाहते स्वप्न दोष से निपटना चाहते तत्काल व्यायाम कीजिए 30 मिनट कम से कम दंड है बैठक है और भी आसन है योगियों ने बताए हैं और फिर 20 मिनट कम से कम प्राणायाम कीजिए कपाल भाति अनुलोम विलोम आदि जो भी आप सीख पाए और इसके बाद 30 मिनट तक कोई खानपान ना कीजिए प्राणायाम व्यायाम के 30 मिनट तक ना आप चाय पीजिए ना पानी प चाय तो बड़े बूढ़ों की बात है आपका शरीर रोगी हो तो चाय की जरूरत क्या है ब्रह्मचारी अपने आप में इतना चाय होता है कि उसे जरूरत ही नहीं दूसरे किसी गर्म पदार्थ पाने की तो सुबह 4:00 बजे उठ कर के ऐसी दिनचर्या प्राणायाम व्यायाम जरूर करें जरूर जितना भजन आवश्यक है उतना यह भी आवश्यक है तो उसके ब्रह्मचर्य को संभलने में छ महीने लगेंगे अब यह सावधानी रखें कि जैसे आजकल बहुत बड़ा खतरनाक चल गया है स्मार्ट मोबाइल इंटरनेट उसमें क्या है कि बहुत से बच्चे विषय आकर्षण के कारण गंदी फिल्में जिनमें हमारा शास्त्र आदेश करता है किसी भी पक्षी को भोग करते ना देखे भागवत अन्य शास्त्र भी आदेश करते कोई भी जीव यदि भोग कर रहा हो तो हम ना देखे और हम मनुष्य का भोग देखें उसमें और हम सोचे कि हमारा आप कोई क्रिया ना करो कि केवल गंदे वो भोग संबंधी चित्र देख लो तो आपके मन में जो संस्कार बन रहे हैं जो कामोत्तेजक भाव बन रहे हैं वो आपको ब्रह्मचर्य नहीं रहने देंगे सोते जागते उठते बैठते आपका वीर स्खलित हो जाएगा इसलिए साधक बहुत शीघ्र ऐसे मोबाइल को त्याग दे अगर ना त्याग पावे वो कामोत्तेजक चित्र देखने से तो उस मोबाइल साधारण 2000 वाला ले लो अगर फोन का काम दो चार महीने तो ऐसा करके देखो फिर आपका मन संयम में हो जाए तो आप भले रख लेना लेकिन अगर आप वो देखते रहे गंदे चलचित्र जो क्रियाएं भोग की कर रहे तो आपको ब्रह्मा भी नहीं संभाल सकते कि आप ब्रह्मचर्य वीर शक्ति को रोक सके क्षरण होने से और ये बहुत बड़ी गलती हो रही नए बच्चों में कि वो इसको ऐसा करते हैं मतलब वो एकांत देश में बैठकर और कभी भी हम इस बात को चर्चा में भी ना लावे ये स्त्री संबंधी पुरुष संबंधी भोग संबंधी वार्ता हमारे अंदर संस्कार डालती है और हम समझ नहीं पाते वह हमारे अंदर ऐसी अग्नि पैदा करती है जिससे वीर शक्ति स्खलित हो जाती है कभी हम सोच में बैठे लघु शंका में तो सबसे पहले वीर स्खलित हो गया अब आपको लगेगा कि ये रोग है रोग नहीं आपकी गलती है आपने जो गलत चिंतन किया क्रिया नहीं की लेकिन मनोवा नाड़ी ने संपूर्ण शरीर से वीर को खींच करके वो निकाल दिया अब निकल जाएगा वो आपके असावधानी के समय इसलिए आप सावधान रहे कभी भी कोई ऐसे ग्रंथ को ना पढ़े जिसमें कामोत्तेजक भाव लिख जैसे उपन्यास आदि कुछ ऐसा जो कुछ हो वो ऐसे जो ब्रह्मचर्य के नष्ट करने वाली चेष्टा एं जिनमें वर्णन की गई है और ऐसे डॉक्टरों से ना मिले वो बेचारे क्या जाने डॉक्टर जो खुद भोगी है जिनका लक्ष्य केवल है रसेंद्र जनदरी को तृप्त करना आप कहो आज की हमारी साइंस ऐसी कहती है अगर साइंस कहती है तो हजारों कमेंट है आप पढ़ के देख लीजिए जिनमें कह रहे हैं कि मैं आत्महत्या कर लूं 12 वर्ष की अवस्था से लेकर आज तक हस्त मैथुन किया मेरी दुर्दशा हो गई मुझे उपाय बताओ नहीं मन कहता है आत्महत्या मिलाओ साइंस वाले को कि इसको संभाल पचास ऐसे हैं जो आत्महत्या के लिए तैयार है आप नहीं समझ पा रहे हैं साइंस की बुद्धि और महात्माओं की बुद्धि में अंतर है महात्मा तुम्हें आध्यात्म शक्ति मानते हैं आप साइंस के अनुसार चलोगे तो विनाशकारी बुद्धि बढ़ सकती है लेकिन अध्यात्म बुद्धि नहीं कल्याण करने वाली बुद्धि नहीं मंगल विधान वाली बुद्धि नहीं बढ़ सकती इसलिए सावधान रहिए ये आपके जो ब्रह्मचर्य संबंधी इसको इस तरह से ना टाला जाए कि अरे भाई आप महात्मा ऐसे कहते हो कुछ महात्मा भी ऐसे हमें कुछ को नहीं देखना मुझे सिर्फ अपने को देखना है शास्त्री सिद्धांत महात्माओं के अनुभव के द्वारा आप अपने जीवन को आनंदमय बनाइए हम आहार पर दृष्टि रखें जैसे हम रात्रि के समय शयन करते हैं तो सावधानी रखें कि शयन के एक घंटा पहले ही दूध ले ले गरम अगर हम गर्म दूध लेकर सोएंगे तो निश्चित वीर्यपात हो जाएगा जब हम जान ले कि हमें कब्ज हो रहा है तो हम सरल औषधि ले ऐसे कोई चूर्ण ना ले जो बहुत कड़े गर्म हो जो हमें ब्रह्मचर्य हीन कर दे जैसे आंवला है और वो हर है बेहड़ा है त्रिफला का प्रयोग करें वैसे प्रत्येक साधक को भोजन में एक आंवले का प्रयोग कर लेना चाहिए तो कब्ज भी दूर रहेगी और शीतलता भी रहेगी और आंवला पवित्र भजन में भी सहयोगी होता है और भी स्वादिष्ट भी होता है आप मीठा आंवला ले सकते हैं आप खट्टा करके ले वो आंवला खटाई में भी नहीं आता टाई हुई है वो आपके साधन में भी आएगा कब्ज ना रहने पावे अगर हमारे शरीर में पेट में कब्ज है तो कब्ज में आतो में जो जमा हुआ मल है व ऐसी उत्तेजना पैदा करेगा कि आपका वीर स्खलित हो जाएगा इसलिए कब्ज भी ना होने पाए साधक अगर इन नियमों का पालन करें और भगवत स्मरण प्रधान है ब्रह्मचर्य में सबसे प्रधान औषधि है स्मरण आपकी जो स्मृति कामुक हो गई है उसको बदलिए अगर आपका चिंतन नहीं बदला तो आप आप चाहे जितनी औषधियां खा ले आप ब्रह्मचर्य को संभाल नहीं सकते औषधि एक सपोर्ट है यदि आप ब्रह्मचर्य को ठीक करना चाहते हैं किसी आयुर्वेदिक वैद्य से कुछ दिन के लिए औषधि ले लीज बकाया रोज औषधि नहीं लीजिए आप रोज ऐसा करें प्रातः काल उठकर के एक तुलसी की पत्ती ले जैसे आप नहा धो चुके एक तुलसी दल लिया ठाकुर जी के चरणों में चढ़ा दिया और रात्रि के समय शाम टाइ एक नीम की पत्ती ले एक पत्ती और कुछ दिन उसे पाइए अगर आप को पच जाए तो फिर एकएक बढ़ा दीजिए 1010 पत्ती तक जाइए किसी और औषधि की जरूरत नहीं हर रोग का निवारण तुलसी की पत्ती और नीम की पत्ती सुबह शाम करने से हो जाए आप देख लीजिए ये ज्यादा औषधियों को ना खाए नहीं तो जब औषधि छोड़ोगे तब कमजोर हो जाओगे अगर आप बहुत हालत खराब है तो आयुर्वेदिक कुछ ऐसी औषधियां कई महात्माओं ने निकाली है जो आपकी वीर्य को पुष्ट करती है उनको सहयोग के लिए ले ले और बकाया चिंतन बदले कुसंग का त्याग करें भोजन रखे और नींद भर ही सोए ज्यादा नहीं कि प्रमाद स्थिति में पड़े रहोगे तो फिर भी ब्रह्मचर्य हानि की संभावना है नींद भर सोए प्रातः कालीन बला पर जग जाए प्राणायाम व्यायाम करे तो निश्चित इस पर विजय प्राप्त ऐसे ऐसे साधक है कि 10 10 वर्ष हो गए स्वप्न दोष नहीं हुआ 10 10 वर्ष हो गए स्वप्न दोष ही नहीं हुआ ऐसा ऐसे भी उपासक है हमारे पास है अपने पास है दसियों वर्ष हो गए स्वप्न दोषी नहीं हुआ तो क्या है उन्होंने संयम किया वीर जो स्थगित हो गया परिपक्व हो गया धीरे-धीरे ऊर्ध्वगामी होने लगता है आप कभी घबराए नहीं साधक सावधानी पूर्वक यह जो जो बातें बताई गई अपने जीवन में उतारे चाहे गृहस्थ हो चाहे विरक्त वीर ही अमृत है वीर त्याग ही मृत्यु है इतना समझ ले श्री राधा वल्लभ लाल की जय