प्रेम विवाह दो व्यक्तियों के आपसी प्रेम, परवाह, आकर्षण और वादे से हुए मेल को कहते है। हालांकि इसका पाश्चिमात्य संस्कृती में कम महत्व है जहाँ लगभग अधिकांश विवाह "प्यार के आधार" पर होते है, परन्तु इसका अर्थ अन्य स्थानों पर विवाह के उस प्रकार को माना जाता है जो ज़बरदस्ती किया गया विवाह या ठहराया गया विवाह से अलग हो।

इसे दक्षिण एशियाई व मध्य पूर्वी देशों में अधिकतर उपयोग किया जाता है जहाँ पारंपरिक विवाह का प्रचलन अधिक है जिसमें महिला व पुरुष के परिवार वाले उनका विवाह तय करते हैं। संस्कृति के आधार पर प्रेम विवाह अप्रचलित व बदनामी की नज़र से देखे जाते हैं।[1][मृत कड़ियाँ]

BRIDE FEELING JOY AND LOVE IN MARRIAGE MOMENTS

प्रेम विवाह हाल की एक अपेक्षाकृत घटना है। प्रेम विवाह बजाय कर्तव्य के, स्नेह के एक साझा जीवन के आधार पर होना चाहिए यह विचार सबसे पहले अपने लोकप्रिय उपन्यास जूली, जो १७६१ में जीन जैक्स रूसो (Jean-Jacques Rousseau) द्वारा व्यक्त की गई थी। यह उभर्ते हुए रोमेन्ट्सिज़म् द्वारा भी उठाया गया था।

 
Heloïse et d'Abélard