फतहगंज का मकबरा पांच मंजिला है और दिल्ली में स्थित अपनी समकालीन सभी इमारतों में सबसे उच्च कोटि का है। खूबसूरती के मामले में यह हूमांयु के मकबरे से भी सुन्दर है। यह भरतपुर रोड के नजदीक, रेलवे लाइन के पार पूर्व दिशा में स्थित हैं। यहां तक पहुंचने के लिए रेलवे लाइन के ऊपर एक पुल भी बनाया गया है। यह मकबरा एक बगीचे के बीच में स्थित है और इसमें एक स्कूल भी है। जो सुरक्षाकर्मी इस मकबरे की देखभाल करता है वह इसे कई बार 9 बजे से पहले भी खोल देता है। फतहगंज का मकबरा देखने के बाद रिक्शा से मोती डुंगरी पहुंचा जा सकता है। मोती डुंगरी का निर्माण 1882 में हुआ था। यह अलवर के शाही परिवारों का आवास था। यह 1928 तक शाही परिवारों का आवास रहा। महाराजा जयसिंह ने इसे तुडवाकर इसके स्थान पर इससे भी खूबसूरत इमारत बनवाने का फैसला किया। इस इमारत के लिए उन्होंने यूरोप से विशेष सामान मंगाया था लेकिन दुर्भाग्यवश जिस जहाज में सामान आ रहा था वह डूब गया। जहाज डुबने के साथ ही महाराज जयसिंह ने इस इमारत को बनवाने का इरादा छोड दिया। इमारत नहीं बनने का एक फायदा यह हुआ कि अब पर्यटक इस पहाडी पर बेरोक-टोक चढ सकते हैं और शहर के सुन्दर दुश्य का आनंद ले सकते हैं।