महाराणा जय सिंह द्वारा निर्मित यह झील बाढ़ के कारण नष्ट हो गई थी, बाद में महाराणा फतेह सिंह ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। झील के बीचों-बीच एक बागीचा है। बागीचे में बोट के आकार का एक कैफे भी है। आप बोट अथवा आटो द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।