फर्मी अन्योन्यक्रिया

कण भौतिकी में, फर्मी अन्योन्यक्रिया (Fermi's interaction) (जिसे बीटा क्षय का फर्मी सिद्धांत भी कहा जाता है) 1933 में एन्रीको फर्मी द्वारा प्रस्तावित बीटा क्षय की व्याख्या है।[1][2] इस सिद्धान्त के अनुसार चार फर्मीऑन एक ही शीर्ष पर एक साथ अन्योन्य क्रिया करते हैं।
उदाहरण के लिए, इस अन्योन्य क्रिया में न्यूट्रॉन का क्षय, न्यूट्रॉन के निम्न कणों से सीधे संयुग्मन में दर्शाया गया है:

  1. एक इलेक्ट्रॉन,
  2. एक प्रतिन्यूट्रिनो और
  3. एक प्रोटॉन[3] फर्मी ने सर्वप्रथम 1933 में बीटा क्षय की व्याख्या के अपनी व्याख्या में इस संयुग्मन का परिचय दिया।[4]
  4. कल्पित W- बोसॉन
प्रमाणविक नाभिक में β क्षय (साथ में एक प्रति-न्यूट्रिनो भी निकलता है)।
यह प्रक्रिया एक स्वतंत्र न्यूट्रॉन का क्षय प्रदर्शित करती है।

फर्मी नियतांक

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यहाँ g दुर्बल अन्योन्य क्रिया का संयुग्मन नियतांक और mW W बोसॉन का द्रव्यमान है जो क्षय का माध्यम है।

मानक मॉडल में फर्मी नियतांक हिग्स प्रक्रिया से निम्न प्रकार सम्बंधित है [5]

  1. "Tentativo di una teoria dei raggi β", Ricerca Scientifica, 1933 (also Z. Phys., 1934)
  2. फर्मी, ई॰ (1934). "Fermi's Theory of Beta Decay (English translation by Fred L. Wilson, 1968)". अमेरिकन जरनल ऑफ़ फीजिक्स. मूल से 12 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अगस्त 2013.
  3. Feynman, R.P. (1962). Theory of Fundamental Processes. W.A. Benjamin. Chapters 6&7
  4. Griffiths, David (2009). Introduction to Elementary Particles. पपृ॰ 314–315. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-527-40601-2.
  5. प्लेहन, तिलमान; रौच, माइकल (2005). Phys. Rev. D. 72: 053008. arXiv:hep-ph/0507321. डीओआइ:10.1103/PhysRevD.72.053008. बिबकोड:2005PhRvD..72e3008P. गायब अथवा खाली |title= (मदद)