फकीर (अंग्रेजी: Fakir, अरबी: فقیر‎) अरबी भाषा के शब्द फक़्र (فقر‎) से बना है जिसका अर्थ होता गरीब। इस्लाम में सूफी सन्तों को इसीलिये फकीर कहा जाता था क्योंकि वे गरीबी और कष्टपूर्ण जीवन जीते हुए दरवेश के रूप में आम लोगों की बेहतरी की दुआ माँगने और उसके माध्यम से इस्लाम पन्थ के प्रचार करने का कार्य मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में किया करते थे।

हिन्दू धर्म में एक फकीर योगी का चित्र। नुकीली शर-शय्या पर आराम से लेटे हुए इस योगी का चित्र बनारस में बहुत पहले सन १९०७ में लिया गया था।

आगे चलकर यह शब्द उर्दू, बाँग्ला और हिन्दी भाषा में भी प्रचलन में आ गया और इसका शाब्दिक अर्थ भिक्षुक या भीख माँगकर गुजारा करने वाला हो गया। जिस प्रकार हिन्दुओं में स्वामी, योगी व बौद्धों में बौद्ध भिक्खु को सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त थी उसी प्रकार मुसलमानों में भी फकीरों को वही दर्ज़ा दिया जाने लगा। यही नहीं, इतिहासकारों ने भी यूनानी सभ्यता की तर्ज़ पर ईसा पश्चात चौथी शताब्दी के नागा लोगों एवं मुगल काल के फकीरों को एक समान दर्ज़ा दिया है।

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