फिर वही दिल लाया हूँ (1963 फ़िल्म)
फ़िर वो ही दिल लाया हूँ १९६३ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
फ़िर वो ही दिल लाया हूँ | |
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प्रदर्शन तिथि |
1963 |
लम्बाई |
मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंजमुना (वीना) और उसके पति के बीच रिश्तों में दरार बढ़ता जाता है और अंत में वो घर छोड़ कर जाने का फैसला करती है। लेकिन उसका पति उसे अपने बेटे को साथ ले जाने नहीं देता है। इस कारण जमुना अपने बेटे को पाने के लिए उसका अपहरण कर लेती है और अपने पति की जिंदगी से हमेशा के लिए चले जाती है।
कुछ सालों के बाद जमुना का बेटा, मोहन (जॉय मुखर्जी) बड़ा हो जाता है और एक दिन मोहन की मुलाक़ात मोना (आशा पारेख) से होती है। दोनों एक दूसरे की ओर खींचे चले जाते हैं। लेकिन मोना के माता-पिता उसकी शादी बिहारीलाल उर्फ दिफू से करना चाहते हैं, जो विलायत से लौटा है और एक अमीर खानदान से है। एक दिन मोना और उसके दोस्त श्रीनगर घूमने जाते हैं, मोहन भी उनका पीछा करते हुए वहीं चले जाता है।
वहीं, जमुना का पति अचानक एक दिन घोषणा करता है कि उसका बेटा, मोहन घर लौट आया है। जब ये खबर जमुना को मिलती है तो वो हैरान रह जाती है। उसे पता चलता है कि जो उनका बेटा होने का दावा कर रहा है, वो रमेश है। अब उसे इस झूठ से पर्दा हटाने के लिए अपने आप को सामने लाना पड़ेगा और मोहन के अपहरण की बात भी कबूलनी पड़ेगी।
कलाकार
संपादित करें- जॉय मुखर्जी — मोहन
- आशा पारेख — मोना
- वीना — जमुना
== संगीत ==ओंकारप्रसाद नय्यर