फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
पुष्पोपत्यका (पुष्प-उपत्यका) राष्ट्रीय उद्यान, भारत के पश्चिमी हिमालय में उच्च स्थान पर स्थित है, जो स्थानिक उच्च पर्वतीय फूलों के तृण-भूमियों और उत्कृष्ट प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह समृद्ध विविध क्षेत्र दुर्लभ और लुप्तप्राय पशुओं का भी वास है, जिनमें एशियाई काला भालू, हिम तेन्दुआ, भूरा भालू और भड़ल अन्तर्गत हैं। पुष्पोपत्यका राष्ट्रीय उद्यान का सौम्य परिदृश्य नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान के रूक्ष पहाड़ी जंगल का पूरक है। साथ में वे ज़ंस्कार और महान हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के बीच एक अद्वितीय संक्रमण क्षेत्र को परिवेष्टित करते हैं, जिसकी पर्वतारोहियों और वनस्पतिविदों द्वारा एक शताब्दी से अधिक और हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत लंबे समय तक प्रशंसा की गई है।
पुष्पोपत्यका राष्ट्रीय उद्यान | |
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विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम | |
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देश |
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स्थान | उत्तरखंड |
प्रकार | प्राकृतिक |
मानदंड | vii, x |
सन्दर्भ | 335 |
युनेस्को क्षेत्र | एशिया-प्रशांत |
शिलालेखित इतिहास | |
शिलालेख | 1988 (12वां सत्र) |
विस्तार | 2005 |
भौगोलिक स्थितिसंपादित करें
यह उद्यान 87.50 किमी² क्षेत्र में फैला हुआ है।
इतिहाससंपादित करें
किंवदंती है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ (अंग्रेजी: Frank S Smith) और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ (अंग्रेजी: R.L.Holdsworth) ने लगाया था, जो संंयोग से 1931 में अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे। इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1938 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब प्रकाशित करवायी।[1] हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया।[2]
भ्रमण का बेहतर माैसमसंपादित करें
फूलों की घाटी भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है। सितंबर में ब्रह्मकमल खिलते हैं।
आवागमनसंपादित करें
पष्पोपत्यका की यात्रा जोशीमठ से लगभग 16 किमी दूर ऋषिकेश बद्रीनाथ राजमार्ग पर गोविंदघाट (1,770 मीटर) में शुरू होती है।
पायी जाने वाली पुष्प प्रजातियॉंसंपादित करें
नवम्बर से मई माह के मध्य घाटी सामान्यतः हिमाच्छादित रहती है। जुलाई एवं अगस्त माह के दौरान एल्पाइन जड़ी की छाल की पंखुडियों में रंग छिपे रहते हैं। यहाँ सामान्यतः पाये जाने वाले फूलों के पौधों में एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान इत्यादि प्रमुख हैं।
विभिन्न पुष्प चित्रसंपादित करें
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ फूलों की घाटी Archived 2010-06-26 at the Wayback Machine। रीडर्स कैफ़े-उत्तरांचल
- ↑ पादप एवं पशु जगत[मृत कड़ियाँ]। चारधाम