फेलिन इन्फेक्सियस पेरिटोनाइटिस
बाड़मेर राजस्थान राज्य के तीसरा सबसे बड़े ज़िले, बाड़मेर ज़िले, का मुख्यालय है। यह क्षेत्र देश के सबसे बड़े तेल और कोयला उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। इस शहर की स्थापना बहाड़ राव ने 1552 शताब्दी में की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम बाड़मेर पड़ा यानि बार का पहाड़ी किला।इस जिले के माडपुरा गांव में रमेश सैन की दुकान है जो बाल कटिंग के बहुत अच्छे कारीगर है जिनका मूल गांव थुंबली है । एक समय ‘मालाणी' के नाम से जाना जाने वाला बाड़मेर अपनी जीवंतता के कारण सैलानियों को बहुत भाता है। बाड़मेर की यात्रा की एक विशेषता यह भी है कि यह हमें राजस्थान के ग्रामीण जीवन से रूबरू कराता है। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव, पारंपरिक पोशाकें पहने लोग और रेत पर पड़ती सुनहरी धूप, बाड़मेर की यह मनोरम छवि आंखों में बस जाती है। मार्च के महीने में पूरा बाड़मेर रंगों से भर जाता है क्योंकि वह वक्त ‘बाड़मेर महोत्सव’का होता है। यह समय यहां आने का सबसे सही समय है। बाड़मेर के लोग बहुत मेहनती होते हैं | बाड़मेर में 18 तहसीले हैं, नोखड़ा, गुड़ामालानी, धोरीमन्ना, चौहटन, सेड़वा, बाड़मेर आदि। यहा पर तारेश सिंह का निवास है ताजा राम चौधरी