न्यायालयिक जीवविज्ञान एक आवेदन है जीवविज्ञान का जो कानून प्रवर्तन से जुड़ा हुआ है। यह न्यायालयिक मानव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान फोरेंसिक , न्यायालयिक कीट विज्ञान , न्यायालयिक ओडोंटलजी और विभिन्न डीएनए या प्रोटीन आधारित तकनीक इस मे शामिल है। अपराधिक स्थान पर मिले सबूतो का विश्लेषण करना और उनसे अपराध साबित करना फॉरेंसिक का काम है। अपराधिक स्थान पर मिले खून, कोई जनवर या व्यक्ति का शरीर इन सब से अपराध और अपराधी का पता लगाया जा सकता है।

फॉरेंसिक मानवविज्ञान

फॉरेंसिक मानवविज्ञान मे अवशेष की पहचान करना और उसे बरामद करना करना। बस इतना ही नही बल्की अवशेष से पता लगाना की वह कोण थे। जाति, लिंग, उम्र और कद दोनों अक्सर अवशेष मापने और हड्डियों में संरचनात्मक सुराग की तलाश के द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

वनस्पति विज्ञान फोरेंसिक

लाश पर मिले फूल, पत्ती या पुष्प-रेणु या पराग से यह पता लगया जा सखता है की अपराध कब और कहा हुआ है। या मृत्यु के बाद अगर जगह बदली गई हो। पुष्प-रेणु या पराग (pollen) न नष्ट होने वाली पदार्थ है उस के विश्लेषण से पता लगया जा सकता है वह कोसे पेड़ या पोधे का है उस समय वह पोधा वहा था। फोरेनिस्क मे पुष्प-रेणु या पराग की अध्ययन को फॉरेंसिक पल्यनोलोग्य (palynology) कहा जाता है।

फॉरेंसिक ओडोंटलजी

फॉरेंसिक की साखा जिसमे विश्लेषण होता है दातों का। दात एक एसी धातु है जो सडती नही है या जलाने से नष्ट नही होती है। अपराधिक स्थान पर दात से व्यक्ति की पहचान की या सखती है। दंतवल्क मनुष्ये की सबसे ठोस पदार्थ है।

फॉरेंसिक डीएनए

डीएनए से किसी भी व्यक्ति की पहचान की जा सखती है। हर व्यक्ति का अलग डीएनए होता है। अपराधिक स्थान पर मिले थोडेसे मिले खून से भी डीएनए का विश्लेषण कर के व्यक्ति की पहचान पता लगया जा साखाता है।

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