फोरेंसिक पॉलिमर इंजीनियरिंग

बहुलक उत्पादों में विफलता के अध्ययन को फोरेंसिक पॉलिमर इंजीनियरिंग कहा जाता है। इस विषय में शामिल है, प्लास्टिक उत्पादों के फ्रैक्चर या कोई भी अन्य कारण है जिसे एक उत्पाद सेवा में विफल क्यों रहता है, या इसके विनिर्देश को पूरा करने में विफल रहता है।

विषय अपराध या दुर्घटना के दृश्य से साक्ष्यों पर केंद्रित करता है, उन सामग्रियों को समझा सकता है कि क्यों एक दुर्घटना हुई है।

विश्लेषण करने के तरीके

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थर्माप्लास्टिक बुनियादी लाल स्पेक्ट्रोस्कोपी, पराबैंगनी दिखाई स्पेक्ट्रोस्कोपी, परमाणु चुंबकीय अनुनाद स्पेक्ट्रोस्कोपी और पर्यावरण स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग कर विश्लेषण किया जा सकता है।

विफल नमूनो को या तो एक उपयुक्त विलायक में भंग किया जा सकता है और सीधे जांच भी किया जा सकता है।

इंफ्रा-रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी पॉलिमर के ऑक्सीकरण का आकलन करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जैसे की बहुलक दोषपूर्ण इंजेक्शन मोल्डिंग की वजह से गिरावट।

कई पॉलिमर वातावरण में विशिष्ट रसायनों द्वारा भी नष्ट हो जाते है और गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं जैसे सड़क दुर्घटनाओं और व्यक्तिगत चोट।

  • ओजोन खुर
  • क्लोरीन प्रेरित खुर
  • हाइड्रोलिसिस
  • यूवी गिरावट


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  • Lewis, Peter Rhys, Reynolds, K, Gagg, C, Forensic Materials Engineering: Case studies, CRC Press (2004).
  • Wright, D.C., Environmental Stress Cracking of Plastics RAPRA (2001).
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