सन् १९३० में फ्रेंकफर्ट विश्वविद्यालय (जर्मनी) स्थित सामाजिक शोध संस्थान के निदेशक की जिम्मेदारी मैक्स होर्खिमर ने संभाला और पश्चिमी यूरोप में क्रांति की विफलता तथा जर्मनी में नाजीवाद के उदय की घटना को मार्क्सवाद के नये परिपे्रक्ष्य में देखने का प्रयास किया। इस आधार पर अपने सहयोगियों की मदद से ‘क्रिटिकल थ्योरी’ प्रस्तुत किया। इससे जुड़े या प्रभावित लोगों को नव-मार्क्सवादी (फे्रंकफर्ट स्कूल) कहा जाता है। नव-माक्र्सवादी विचारकों में मैक्स होर्खिमर, थियोडोर एडोर्नो, जुर्गन हेबरमास, वाल्टर बेंजामिन, फ्रेंज न्यूमैन, एरीक फ्रॉम, हरबर्ट मारकॉस का नाम प्रमुख हैं। फ्रेंकफर्ट स्कूल से न तो किसी संस्था का बोध नहीं होता है और न तो इस नाम से विख्यात लोगों ने स्वयं के लिए इस शब्दावली का प्रयोग किया है।  

वामपंथी चिंतकों ने नव-मार्क्सवादी अवधारणा पर आधारित क्रिटिकल थ्योरी की 'बुर्जआ आदर्शवाद' कहकर आलोचना की है। इस थ्योरी को राजनीतिक दृष्टि से अव्यवहारिक बताया है तथा फ्रेंकफर्ट स्कूल से सम्बन्धित लोगों को अलगाववादी कहा है।