फ्रेट ऑपरेशन इन्फोर्मेशन सिस्टम

भारतीय रेलवे ने न केवल यात्रियों और माल परिवहन के पारंपरिक कार्य को कुशलतापूर्वक निष्पादित करने का निर्णय लिया, बल्कि एक जगह जाकर समाप्त होती प्रणाली में परिवर्तन भी किया है। रेल उद्योग में अपने ग्राहकों को एक अद्यतन व्यावसायिक वातावरण की तरह सूचना दिए जाने में पारदर्शिता बरतने की मांग काफी समय से चली आ रही है।

१ प्रत्यक्ष वितरण प्रणाली में कार्गो पर निरंतर नज़र बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। एफओआईएस के कारण फ्रेट ग्राहकों को अपने सामान के संबंध में तत्काल जानकारी मिल जाती है कि उनका सामान इस समय मार्ग में कहां हैं। यह प्रणाली माल की आवाजाही और उसके नियंत्रण के लिए है, साथ ही यह परिसंपत्तियों के इष्टतम उपयोग में प्रबंधकों की मदद भी करती है।

२ एफओआईएस में परिचालनिक हिस्से की संभाल के लिए रेक प्रबंधन प्रणाली (RMS) और वाणिज्यिक ट्रांजेक्शनों के लिए टर्मिनल प्रबंधन प्रणाली (TMS) का उपयोग किया जाता है। टीएमएस को 300 से अधिक स्थलों पर इंस्टाल किया जा चुका है और इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता के साथ इसे सभी प्रमुख हेंडलिंग स्थलों को कवर किया जाएगा। जून, 2005 तक भारतीय रेलवे के 500 से अधिक स्थलों पर 1500 रिपोर्टिंग डिवाइस चालू किए जा चुके हैं। नेटवर्क को स्थापित करने के लिए रेलवे के स्वामित्व वाली डिजिटल माइक्रोवेव संचार सुविधाओं भारत संचार निगम लिमिटेड से किराये पर लिए गए चैनलों से जोड़ा गया है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नेटवर्क का निरंतर विस्तार किया जा रहा है।

३ भारतीय रेलवे और इसके ग्राहकों, दोनों को महत्वपूर्ण लाभ देने के लिए एफओआईएस को तैयार किया गया है। वस्तुत: निम्नलिखित की प्राप्ति के लिए इस प्रणाली को क्रियान्वित किया गया है:-

ट्रेन लोड फार्मेशन में बल्क मूवमेंट की वर्तमान व्यावसायिक प्रक्रिया का पीसमील यातायात में विस्तार करना, ताकि हब एंड स्पोक व्यवस्था के समान प्रकार के स्टॉक को मिलाकर एक साथ परिचालित करके बाजार की हिस्सेदारी में वृद्धि की जा सके।
उचित समय में परेषणों की ग्लोबल ट्रेकिंग चाहे वह रेक में हों अथवा अलग-अलग वैगनों में। समय पर योजना बनाने और समय पर मूल्य-सूची पर्बंधन के लिए परेषणों की इनसाइट और पाइप-लाइन जानकारी उपलब्ध होगी।
चुने गए नोडल ग्राहक केंद्रों, जिनका हेंडलिंग टर्मिनल होना आवश्यक नहीं है, ग्राहकों के आर्डर, बिलिंग और नकदी के लेखाकरण की सुविधा स्वीकार करना। यह सुविधा ग्राहकों को उनके परिसरों तक दी जा सकेगी और ई-कॉमर्स की शुरुआत के साथ लॉजिस्टिक प्रबंधन के भार में कमी होगी और इससे दोनों पार्टियों को लाभ होगा।

४ अब तक क्रियान्वित प्रणाली से निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं :

सभी माल गाड़ियों की मॉनिटरिंग, जिसमें कंप्यूटराइज्ड क्षेत्र में उनकी स्थिति और गंतव्य स्थान पर उनके आगमन का संभावित समय दर्शाया जाता है।
पावर हाउसों, रिफाइनरियों, उर्वरक और सीमेंट प्लांटों, स्टील डिपो और सार्वजनिक फ्रेट टर्मिनलों जैसे ग्राहकों के लिए वस्तु-वार माल गाड़ियों का परिचालन, जिससे उन परेषणों को पाने वाले सामान के आगमन की सही जानकारी पहले से ही पा सकें ताकि उन्हें सामान की संभाल के लिए आवश्यक तैयारियां करने का पूरा समय मिल जाए। 
कंप्यूटरीकृत क्षेत्र के बाहर से आने वाले लोडिड रेकों के मामले में भी इसी प्रकार से मॉनिटरिंग की जाती है।
ब्लॉक रेकों से डिटेचमेंट के पूर्ण विवरण रिकार्ड और अद्यतन किए जाते हैं ताकि वैगनों के कनेक्ट ने होने अथवा मिसिंग होने के अवसर खत्म हो सकें। 
विभिन्न यार्डों में रेकों/वैगनों के विवरण, विभिन्न टर्मिनलों पर उनकी चरण-वार डिटेंशन के विवरण से महंगा मैनुअल डॉक्यूमेंटेशन और उबाऊ रिट्रीवल सिस्टम और त्रुटियां समाप्त होंगी। 
चल स्टॉक अर्थात् वैगनों और इंजनों की उपलब्धता के संबंध में प्रबंधकीय रिपोर्टें ताकि उनके पूर्ण उपयोग के लिए किसी भी समय उनके उपयोग की योजना बनाई जा सके।

५ इस प्रणाली के उपयोग से रेलवे ग्राहकों और इसके परिचालन स्टाफ के बीच व्याप्त बेचैनी, मानसिक दबाव और संदेह को कम किया जा सके। चौबीसों घंटे फोन पर बड़ी मात्रा में और बार-बार डेटा की जानकारी लेना-देना अब कम हो गया है और धीरे-धीरे इसके स्थान पर डेटा इनपुट न्यूनतम हो रहा है। कार्य वातावरण में सुधार के कारण योजनाए तैयार करने और मिले हुए कार्यों को शुरु करने में काफी सरलता आई है। विभिन्न लोडिंग स्टेशनों से ट्रेन लोड से कम परेषणों को क्लब करने के लिए सिस्टम इन्फोर्मेशन का उपयोग किया जा रहा है। बड़ी मात्रा वाले ग्राहकों ने इसकी सराहना की है, जिन्हें उनके परेषणों की स्थिति के संबंध में ई-मेल के माध्यम से सूचित किया जा रहा है, इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि ग्राहकों को एफओआईएस से प्रत्याशित लाभ मिलने शुरु हो गए हैं। रेलवे बोर्ड, क्षेत्रीय रेलों और मंडलों को कस्टमाइज्ड रिपोर्टें देने के लिए इंटरएक्टिव वेब आधारित सोल्यूशंस पर काम किया जा रहा है।

६ एफओआईएस रेलवे और अपने ग्राहकों, दोनों को अपनी वर्तमान बिजनेस गतिविधियों में सुधार करने के लिए बहुत अधिक अवसर प्रदान कर रहा है और फलस्वरूप परिचालनिक लागतों में कमी आई है जबकि सेवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। कॉन्कोर के लिए एक पूर्ण डोमेस्टिक टर्मिनल प्रबंधन प्रणाली पहले से ही कार्य कर रही है।

७ मालभाड़े का ई-भुगतान: पूर्व मध्य रेलवे की कोयला खदानों से बदरपुर पावर हाउस के लिए बुक किए जाने वाले कोयले के भाड़े के इलेक्ट्रानिक भुगतान के लिए एक पायलट परियोजना क्रियान्वित की गई है। प्रारंभिक स्थल से इलेक्ट्रानिक रूप से बैंक (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) को देय मालभाड़ा प्रभारों की सूचना दी जाती है। ट्रांजेक्शन के सफल हो जाने पर बैंक से इलेक्ट्रानिक कंफर्मेशन मिल जाने के बाद इस ट्रांजेक्शन को बदरपुर पावर हाउस के खाते में डेबिट किया जाता है, प्रारंभिक स्थल पर रेलवे रसीद प्रिंट की जाती है। यह एक ही समय में होने वाला ट्रांजेक्शन है और 150 सेकेंड के भीतर इसका प्रत्युत्तर मिल जाता है।

८ भविष्य का दृष्टिकोण:

क) एमआईएस, डेटा वेयर हाउस और डेटा माइनिंग क्षमताओं का डिजाइन और विकास - रुझान विशलेषण, सांख्यिकीय रिपोर्टें, डेटा वेयरहाउसिंग की इनेबलिंग के लिए एमआईएस रिपोर्टों का प्रावधान और इसके फलस्वरूप डेटा माइनिंग गतिविधियों को शामिल करने के लिए भी भविष्य में विचार किया जाएगा। 
ख) वेब आधारित रिपोर्टें: रेलवे के ग्राहकों से उनके इनकमिंग और आउटगोइंग रेकों की पाइपलाइन जानकारी, क्लोज्ड़ सर्किंट रेकों का विवरण और इंटरप्लांट मूवमेंट ट्रांस्फर्स का पता लगाने संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए उनके लिए वेब एक्सेस की व्यवस्था करने पर विचार किया गया है।