बंकन (यांत्रिकी)
यांत्रिकी में किसी लम्बे संरचनात्मक अवयव के लम्बवत दिशा में लगे बल के कारण उस अवयव के रूप में परिवर्तन को बंकन (bending या flexure) कहा जाता है। बंकन के कारण सीधे अवयव कुछ मुड़ जाते हैं और उनका आकार सरलरेखीय न होकर कुछ अलग (वक्र) हो जाता है। प्रायः बंकन से सम्बन्धित विश्लेषण में जिन अवयवों पर विचार किया जाता है उनका कोई एक वीमा (डाइमेंशन) अन्य दो बीमाओं से 1/10 या इससे भी छोटी होता है। जब किसी संरचनात्मक अवयव की लम्बाई उसकी चौड़ाई और मोटाई की तुलना में बहुत अधिक होती है तो उसे धरन (बीम / beam) कहा जाता है। बंकन के फलस्वरूप संरचनात्मक अवयवों के कुछ भागों में तनाव (टेन्साइल स्ट्रेस) उत्पन्न होता है जबकि अन्य भाग दब (कम्प्रेसिव स्ट्रेस) जाते हैं। बंकन का अध्ययन किसी संरचना के डिजाइन और स्थायित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
नेवियर का सूत्र यह सूत्र उस समय लागू होता है जब बीम पर केवल y-दिशा में बल लगा हो और डिफ्लेक्शन बहुत कम हो।
- प्रतिबल (स्ट्रेस)
- Mf बंकन आघूर्ण (बेंडिंग मोमेण्ट)
- y न्यूट्रल अक्ष से दूरी
- J न्यूट्रल-अक्ष के सापेक्ष परिच्छेद का क्षेत्राघूर्ण
चित्र दीर्घा
संपादित करेंकन्टीलीवर I-बीम के मोड आकार (mode shapes) | ||
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बाहरी कड़ियाँ
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