बकुची
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बकुची (Psoralea corylifolia) औषधी के काम में प्रयुक्त होने वाला एक पौधा है।
बकुची | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
Unrecognized taxon (fix): | Cullen |
जाति: | Template:Taxonomy/CullenC. corylifolium |
द्विपद नाम | |
Template:Taxonomy/CullenCullen corylifolium (L.) Medik.[1] | |
पर्यायवाची[1] | |
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यह पौधा हाथ, सवा हाथ ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ एक अँगुल चौड़ी होती हैं और डालियाँ पृथ्वी से अधिक ऊँची नहीं होतीं तथा इधर उधर दूर तक फैलती हैं। इसका फूल गुलाबी रंग का होता है। फूलों के झड़ने पर छोटी छोटी फलियाँ घोद में लगती हैं जिनमें दो से चार तक गोल गोल चौड़े और कुछ लंबाई लिए दाने निकलते हैं। दानों का छिलका काले रंग का, मोटा और ऊपर से खुरदार होता है। छिलके के भीतर सफेद रंग की दो दालें होती हैं जो बहुत कड़ी होती हैं और बड़ी कठिनाई से टूटती हैं। बीज से एक प्रकार की सुगंध भी आती है। यह औषधी में काम आता है। वैद्यक में इसका स्वाद मीठापन और चरपरापन लिए कड़वा बताया गया है और इसे ठंढ़ा, रुचिकर, सारक, त्रिदोषध्न और रसायन माना है। इसे कुष्टनाशक और त्वग्रोग की औषधि भी बतलाया है। कहीं कहीं काले फूल की भी बहुत होती है।
अन्य नाम
संपादित करेंइसे सोमराजी, कृष्णफल, वाकुची,शोमा,पूतिफला, बेजानी, कालमेषिका, अबल्गुजा, ऐंदवी, शूलोत्था, कांबोजी, सुपर्णिका आदि नामों से भी जाना जाता है।
आवास और वितरण
संपादित करेंबकुची उत्तर-पूर्व उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, दक्षिणी अरब प्रायद्वीप और भारत और श्रीलंका सहित उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय एशिया का मूल निवासी है। इसके औषधीय गुणों के कारण इसे कभी-कभी अरब में खेती की जाती थी।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "Cullen corylifolium (L.) Medik". Plants of the World Online. Royal Botanic Gardens, Kew. अभिगमन तिथि 2023-04-29.