बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा
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माता बगलामुखी का यह मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा कस्बे में लखुन्दर नदी के किनारे स्थित है। यह मन्दिर तीन मुखों वाली त्रिशक्ति बगलामुखी देवी को समर्पित है। मान्यता है कि द्वापर युग से चला आ रहा यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक भी है। इस मन्दिर में विभिन्न राज्यों से तथा स्थानीय लोग भी एवं शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं इन्ही में एक है सिद्ध योगी श्री श्री 1008 स्वामी सांदीपेन्द्र जी महाराज! यहाँ बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं।[1] कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय के उद्देश्य से[2] भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने की थी।[3] मान्यता यह भी है कि यहाँ की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है।[4] प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है जिनमें से एक है बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। यह मन्दिर उन्हीं से एक बताया जाता है
बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | त्रिशक्ति बगलामुखी देवी |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | नलखेड़ा, आगर मालवा ज़िला, मध्य प्रदेश |
भौगोलिक निर्देशांक | 23°50′30″N 76°14′02″E / 23.8415706°N 76.2337537°E |
वास्तु विवरण | |
शैली | हिन्दू मन्दिर वास्तु कला |
स्थापित | महाभारत काल |
इतिहास संपादित करें
मंदिर के बाहर सोलह स्त्म्भों वाला एक सभामंडप है जो आज से लगभग २५२ वर्षों से संवत १८१६ में पंडित ईबुजी दक्षिणी कारीगर श्रीतुलाराम ने बनवाया था।[2] इसी सभामंड़प में एक कछुआ भी स्थित है जो देवी की मूर्ति की ओर मुख करता हुआ है। यहाम पुरातन काल से देवी को बलि चढ़ाई जाती थी। मंदिर के सामने लगभग ८० फीट ऊँची एक दीप मालिका बनी हुई है, जिसका निर्माण राजा विक्रमादित्य द्वारा ही करवाया गया था। प्रांगन में ही एक दक्षिणमुखी हनुमान का मंदिर, एक उत्तरमुखी गोपाल मंदिर तथा पूर्वर्मुखी भैरवजी का मंदिर भी स्थित है।[1] यहां के सिंहमुखी मुख्य द्वार का निर्माण कराया गया था।[3] (sri sri 1008 paramhans swami sandipendra ji maharaj nalkheda baglamukhi mandir)
यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। Yogesh । १८१५ में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु एवं विभिन्न क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बगलामुखी माता तंत्र की देवी हैं, अतः यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है[4]। इस मंदिर की मान्यता इसलिए भी अधिक है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जागृत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी।
मंदिर में बहुत से वृक्ष हैं, जिनमें बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आँवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष एक साथ स्थित हैं। इसके आसपास सुंदर और हरा-भरा बगीचा भी बना हुआ है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ भक्तों का ताँता लगा रहता है। मंदिर श्मशान क्षेत्र में होने के कारण वर्षभर यहाँ पर कम ही लोग आते हैं। मंदिर के पीछे लखुन्दर नदी (जिसका पुराना नाम लक्ष्मणा था) के तट पर संत व मुनियो की कई समाधियाँ जीर्ण अवस्था में स्थित है, जो आज भी इस मंदिर में संत मुनियों का रहने का प्रमाण है।[3]
8 सिद्ध योगी श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी सांदीपेन्द्र जी महाराज बगलामुखी माता मंदिर प्रांगण में बरसों से निवास रत है इनके दर्शन हेतु दूर दूर से मुख्यमंत्री मंत्री जज इत्यादि आते रहते है आप भी दर्शन का लाभ लेवें
आवागमन संपादित करें
सड़क मार्ग द्वारा इंदौर से लगभग १६५ किमी की दूरी पर स्थित नलखेड़ा पहुँचने के लिए देवास या उज्जैन के रास्ते से जाने के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।
वायु मार्ग से पहुंचने हेतु नलखेड़ा के निकटतम इंदौर का विमानक्षेत्र है।
रेल मार्ग द्वारा इंदौर से ३० किमी पर स्थित देवास या लगभग ६० किमी मक्सी पहुँचकर भी आगर मालवा जिले के कस्बे नलखेड़ा पहुँच सकते हैं।
Sri sri 1008 paramhans swami sandipendra ji== सन्दर्भ ==
- ↑ अ आ सक्सेना, ललित (२५ मार्च २०१६). "बगलामुखी मन्दिर में दूर होते हैं नेताओं के संकट". मूल से 9 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अप्रैल 2018.
- ↑ अ आ जैन, राजीव. "तन्त्र का स्थान है नलखेड़ा, विराजित हैं माँ बगलामुखी". मूल से 9 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अप्रैल 2018.
- ↑ अ आ इ ओंकार कुमार (२२ फ़रवरी २०१५). "बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा". मूल से 9 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अप्रैल 2018.
- ↑ अ आ अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'. "माँ बगलामुखी का प्राचीन मंदिर". वेब दुनिया. मूल से 24 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
Sri sri 1008 Swami sandipendra jii== इन्हें भी देखें ==
बाहरी कड़ियाँ संपादित करें
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