इनका जन्म बलिया जिले के सवरुबांध शिवरामपुर गांव में हुआ था, बचपन से ही तेजस व बहुमुखी प्रतिभा के धनी बच्चन पांडेय जी ने अपनी शिक्षा कुइन्स कॉलेज वाराणसी से पूरी की। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात इन्हें सरकार की संस्था में नौकरी भी मिली किन्तु बड़े भाई सूर्यपाल पांडेय के समर्थन व स्वप्रेरणा से इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के वीर सिपाही बनने का रास्ता चुना और उस पर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सिकन्दर पुर में इनके साथी को गिरफ्तार करने जा रही अंग्रेजी पुलिस को रोकने हेतु उन्होंने पुलिया नष्ट करवा दी ताकि अंधेरे में पुलिस की जीप गिर जाये व वो कामयाब न हों, किन्तु किसी मुखभीर ने उनके इस रहस्य को उजागर कर पुलिस को सचेत कर दिया हलांकि इसके बाद पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दे दिया परन्तु वो 5 साल फरार रहे और अंग्रेजी हुकूमत के हाथ न आये, कई बार उन्हें पकड़ने हेतु पुलिस ने प्रयास किया किन्तु तीव्र बुद्धि और बल व अपनी तैराकी व तमाम कुशल क्षमताओं की वजह से वो पुलिस को चकमा देने में सफल रहे।

स्वतंत्रता संग्राम के बाद सरकार द्वारा सेनानियों को दी जा रही तमाम सुविधाओं को उन्होंने लेने से इनकार कर दिया ,उनका ये कथन था कि हमनें अपने देश हेतु अपना योगदान दिया । इसके लिये हमें विशेष सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है

भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अपने ग्राम के प्रथम मुखिया चुनें गये और जब तक जीवित रहे इस पद को सुशोभित किया।