बनिहाल क़ाज़ीगुंड रोड सुरंग
बनीहल काजीगुंड रोड सुरंग (Banihal Qazigund Road Tunnel) भारत के जम्मू और कश्मीर प्रदेश में पीर पंजाल पर्वतमाला को पार करने वाली एक सुरंग है। यह 8.45 किमी (5.25 मील) लंबी सड़क सुरंग बनिहाल और काज़ीगुंड को जोड़ती है।[1][2][3]
अवलोकन | |
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स्थान | जम्मू और कश्मीर, भारत |
निर्देशांक | 33°29′21″N 75°10′23″E / 33.4892°N 75.1730°Eनिर्देशांक: 33°29′21″N 75°10′23″E / 33.4892°N 75.1730°E |
स्थिति | सक्रीय |
मार्ग | एनएच 44 |
आरम्भ | काज़ीगुंड |
अन्त | बनिहाल |
संचालन | |
कार्यारम्भ | 2011 |
चलित | 4 अगस्त 2021 |
स्वामी | भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण |
संचालक | भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण |
यातायात | वाहन |
चुंगी कर | काज़ीगुंड टोल प्लाज़ा |
तकनीकी | |
लम्बाई | 8.45 कि॰मी॰ (27,700 फीट) |
लेन संख्या | 2 लेन प्रति ट्यूब (द्विदिशा मार्ग में कुल 4 लेन) |
संचलन गति | 70 किमी/घंटा (43 मील/घंटा) |
अधिकतम ऊँचाई | 1,790 मी॰ (5,870 फीट) |
चौड़ाई | 7 मीटर (23 फीट) |
विवरण
संपादित करेंकाजीगुंड सुरंग में 126 जेट फैन 234 सीसीटीवी कैमरे फायर फाइटिंग सिस्टम स्थापित किया गया है 2100 करोड़ की लागत 2100 करोड़ की लागत से तैयार यह सुरंग जम्मू संभाग को कश्मीर से जोड़ती है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर पीर पंजाल की तलहटी में निर्मित बनिहाल-काजीगुंड सुरंग को परीक्षण के तौर पर आम वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। इस सुरंग के पूरी तरह से बहाल होने से न सिर्फ जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्रा के समय में करीब डेढ़ घटे की बचत होगी, बल्कि 16 किलोमीटर का सफर भी कम हो जाएगा। साढ़े आठ किलोमीटर लंबी यह सुरंग बनिहाल दर्रा में मौजूदा जवाहर सुरंग के ठीक 400 मीटर नीचे बनी है। यह देश में वाहनों के आवागमन योग्य सबसे लंबी सुरंगों में एक है। यह बनिहाल-काजीगुंड रेलवे सुरंग के समानातर है। सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण यह सुरंग श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग को सदाबहार बना दिया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर इस सुरंग को, जिसे जम्मू कश्मीर में नवयुग सुरंग और बनिहाल टनल भी कहते हैं, काजीगुंड सुरंग ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से तैयार इस टनल में दो ट्यूब हैं और हर 500 मीटर के फासले पर दोनों ट्यूब के बीच कॉरिडोर बनाया गया है। यह आपात स्थिति के लिए इमरजेंसी एक्जिट प्वाइंट हैं। निर्माण कंपनी के मुख्य प्रबंधक मुनीब टाक ने बताया कि टनल में 126 जेट फैन, 234 सीसीटीवी कैमरे, फायर फाइटिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। 2100 करोड़ की लागत से तैयार यह सुरंग जम्मू संभाग को कश्मीर से जोड़ती है। यह मौजूदा जवाहर सुरंग का विकल्प भी रहेगी।
जवाहर सुरंग इस समय अपनी क्षमता से अधिक वाहनों का बोझ उठा रही है और वह ज्यादा समय तक कारगर नहीं रहेगी। हिमस्खलन से हादसा भी टलेंगे जम्मू कश्मीर यातायात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जवाहर सुरंग के बनिहाल की तरफ नौगाम-शैतानी नाला और घाटी में जवाहर सुरंग के बाएं मुहाने पर जिग तक के रास्ते में कई जगह सर्दी में हिमस्खलन की आशका रहती है और कई बार वाहन चालकों की जान इसमें गई है। बनिहाल-काजीगुंड सुरंग के बहाल होने के बाद श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर एक भी एवलाच जोन नहीं रहेगा। 2011 में शुरू हुआ था परियोजना पर काम नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी की ओर से जून 2011 को इस परियोजना पर काम शुरू किया गया था। यह चिनैनी-नाशरी टनल साथ ही बनना शुरू हुई थी, लेकिन किन्हीं कारणों के इसका काम लटक गया था। बनिहाल-काजीगुंड सुरंग निर्माण कार्य ने 2016 में ही रफ्तार पकड़ी। यह सुरंग बिल्ड, ऑपरेट और ट्रासफर (बीओटी) के आधार पर बनाया गया है
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Jammu, Kashmir, Ladakh: Ringside Views," Onkar Kachru and Shyam Kaul, Atlantic Publishers, 1998, ISBN 9788185495514
- ↑ "Restoration of Panchayats in Jammu and Kashmir," Joya Roy (Editor), Institute of Social Sciences, New Delhi, India, 1999
- ↑ "Land Reforms in India: Computerisation of Land Records," Wajahat Habibullah and Manoj Ahuja (Editors), SAGE Publications, India, 2005, ISBN 9788132103493