बन्दूक
बन्दूक (अंग्रेजी: Coach gun) बीसवीं सदी तक सैनिकों द्वारा प्रयुक्त एक प्रमुख हथियार रहा है। यह आकार में बड़ा एवं वजनी होता है। साम्राज्यवाद के दौर में मुख्यतः इसी अस्त्र के कारण यूरोपीय सेनाओं ने एशियाई, अफ्रीकी एवं अमेरिकी भूभागों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था। इकनाली बन्दूक में एक बार मे केवल एक ही गोली भर कर दागी जाती है जबकि दुनाली बन्दूक में दो गोलियाँ भरकर क्रमश: दागी जा सकती हैं। आजकल भारत की आम जनता में जो लाइसेंसी बन्दूकें मिलती हैं उनमें प्राय: बारह बोर के ही कारतूस प्रयोग में लाये जाते हैँ। ब्रिटिश भारत में प्राय: विदेश में बनी बन्दूकें ही अमीर लोगों के पास होती थीं किन्तु अब भारतीय आयुध निर्माणी द्वारा बनायी गयीं इकनाली व दुनाली बन्दूकें यहाँ के शस्त्र विक्रेता अपने पास रखने लगे हैं। इन्हें कोई भी शस्त्र अनुज्ञप्ति धारक उनसे सीधे मूल्य देकर खरीद सकता है।
बन्दूक (Coach gun) | |
---|---|
विदेश में बनी दुनाली बन्दूक (कोच गन) | |
प्रकार | Shotgun |
उत्पत्ति का मूल स्थान | United States |
उत्पादन इतिहास | |
डिज़ाइन किया | 1850 |
उत्पादन तिथि | 1850 से अब तक |
निर्दिष्टीकरण | |
लंबाई | 39 इंच (995 मिमी) |
बैरल लंबाई | 18 इंच. (450 मिमी) |
कैलिबर | 12 बोर |
कार्रवाई | तोड़कर खोलने वाली |
कारतूस
संपादित करेंसामान्यत: इनमें प्रयुक्त होने वाले बारह बोर के कारतूस 70 मिलीमीटर[1] व 65 मिलीमीटर[2] लम्बाई के होते हैं। इन्हें भी अब भारत में ही बनाया जाने लगा है।[3] ये कारतूस भी भारत के शस्त्र विक्रेताओं से खरीदे जा सकते हैं। कारतूस मे छर्रे, काटन वैड, गन पाउडर एवं .22 कैप होता है| बंदूक के कारतूस का वर्गीकरण नम्बरों के आधार पर है जैसे 1 नम्बर का कारतूस जिसमे छर्रे बड़े होते है एवं उनका प्रयोग बड़े शिकार पर किया जाता है| इसी प्रकार से नम्बर 2,3,4,5,6 के कारतूस होते हैं जिनमे छर्रों की संख्या बढ़ती जाती है एवं उनका आकार घटता जाता है| एल जी एवं कारतूस को बहुत ही बड़े शिकार के लिये किया जाता है|वास्तव मे कोई बंदूक कितने बोर की होगी यह निर्धारित करने के लिए एक विशेष प्रणाली अपनायी जाती है जैसे यदि किसी गन की नली से एक पाउण्ड लेड धातु का गोलाकार 12वां भाग सरलता से पास हो जाए तो उसे 12 बोर की गन कहेंगे|इसी प्रकार 14 बोर एवं 10 बोर की बंदूंको का वर्गीकरण भी किया जाता है|
साधारण बोलचाल की भाषा में हम जिसे बोर कहते हैं वह शस्त्र-विज्ञान की भाषा में गेज़ कहलाता है। नीचे 12 बोर के कारतूसों की विनिर्दिष्टीकरण तालिका दी जा रही है जिससे इसकी सही-सही और वास्तविक जानकारी हो सके।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अस्त्रम कारतूस". मूल से 26 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2013.
- ↑ "65.0 mm स्पेशल कारतूस". मूल से 26 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2013.
- ↑ "Arms&lang=hi नागरिक शस्त्र एवं कारतूस". मूल से 4 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2013.
- ↑ "गेज़ (बोर व्यास) - अंग्रेजी विकिपीडिया". मूल से 17 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 नवंबर 2013.