बब्बर अकाली, सन १९२१ में अकालियों से अलग होकर बना एक उग्र सिख समूह था। गुरुद्वारा सुधार के प्रश्न पर अकालियों का अहिंसक मार्ग इन्हें पसन्द नहीं था।

सितम्बर १९२० में लड़ाकू दल का गठन हुआ था जिए 'शहीदी दल' नाम दिया गया था। बाद में यही दल 'बब्बर अकाली आन्दोलन' में परिवर्तित हो गया। १९२२ आते-आते बब्बर अकालियों ने भेदियों, सरकारी अधिकारियों और सेवा निवृत सरकारी अधिकारियों की हत्या करना शुरू कर दिया था। इन्होने एक अवैधानिक समाचार पत्र भी निकाला जिसमें अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे शोषण का वर्णन होता था।

अप्रैल १९२३ में इस संगठन को अंग्रेजों ने अवैध घोषित कर दिया। इसके बहुत से सदस्य पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गये, ६७ को जीवित पकड़ लिया गया और ५ को मृत्युदण्ड दिया गया, ११ को काले पानी की सजा दी गयी, ३८ को अलग-अलग अवधि के लिये विभिन्न जेलों में डाल दिया गया।

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