बरावन कला
बरावन कलॉ एक गांव है जो लगभग 30 वर्ष पहले नगरीय क्षेत्र लखनऊ में सम्मिलित कर लिया गया था अब नगरीय जोन-6 वार्ड बालागंज लखनऊ के अन्तर्गत आता है, जिसमें कई धर्मो और जातियों के लगभग 6000 लोग आपस में मिल जुल कर रहते है नयी आबादी बस जाने के कारण यहॉ की जनसंख्या लगभग 8000 हो गयी है। यहॉ के निवासी शहर और गांव दोनों तरह के आनन्द लेते है के0जी0एम0सी0, लखनऊ विश्वविद्यालय और चारबाग रेलवे स्टेशन गांव से कुछ समय में ही पहुचा जा सकता है। सुबह उठ कर लोग जार्गस पार्क, शहीद स्मारक पार्क तक टहल कर तरोताजा होते है। गांव से 03 किमी दुबग्गा सब्जी मण्डी है। गांव में पोस्ट आफिस के साथ-साथ जरूरत के सामान का एक बाजार/दुकानें है।
बरावन कलॉ गांव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू त्रिलोकी सिंह की कर्मभूमि रही है उनके द्वारा गांव में इंटर कालेज बनवाया गया जिसमें दूर दराज के गांवों के बच्चे पढ् लिख कर अनेक पदों को सुशोभित कर रहे है। इसी विद्यालय के पढे दो होनहार भाइयों श्री गोमती प्रसाद मौर्य और राजेन्द्र कुमार मौर्य ने अपने माता-पिता स्मृतिशेष श्रीमती फूलमती मौर्य पत्नी स्मृतिशेष छंगा प्रसाद मौर्य के आशीर्वाद और एक संगठन ‘अशोक क्लब भारत’ की प्रेरणा से गांव में चार मुख वाला 32 फिट ऊचॉ चुनार के बलुआ पत्थर का अशोक स्तम्भ बनवा कर एक अनूठी पहचान दी है। जो भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह है, देश की धरोहर तथा बरावन कलॉ का लैण्डमार्क है। गांव के लोग चारों दिशाओं में बैठे शेरों से प्रेरणा लेकर अपने कर्तव्य और अधिकारों के प्रति सजग/जागरूक हो रहे है। देश भक्ति सिर चढ् कर बोल रही है। अशोक स्तम्भ को दूर-दराज से अनेकों लोग देखने आते है स्तम्भ की सुन्दरता और भव्यता गांव में अनुपम छटा बिखेरती है।