बर्तोल्त ब्रेख्त बीसवीं सदी के एक प्रसिद्ध जर्मन कवि, नाटककार और नाट्य निर्देशक थे। द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद ब्रेख्त ने अपनी पत्नी हेलेन विगेल के साथ मिलकर बर्लिन एन्सेंबल नाम से एक नाट्य मंडली का गठन किया और यूरोप के विभिन्न देशों में अपने नाटकों का प्रदर्शन किया।[1]

बर्तोल्त ब्रेख्त
बर्तोल्त ब्रेख्त
जन्मयूगेन बर्थोल फ्रेडरिक ब्रेख्त
10 फ़रवरी 1898
औग्स्बुर्ग, बवारिया राज्य, जर्मन साम्राज्य
मौत14 अगस्त 1956(1956-08-14) (उम्र 58 वर्ष)
पूर्वी बर्लिन, पूर्वी जर्मनी
पेशानाटककार, नाटक निर्देशक, कवि
राष्ट्रीयताजर्मन
विधाएपिक थियेटर · नॉन एरिस्टोटेलियन ड्रामा
जीवनसाथीs
बच्चे
  • फ्रैंक बैन्होल्ज़र (1919–43)
  • हने हेयॉब (1923–2009)
  • स्तेफान ब्रेख्त (1924–2009)
  • बारबरा ब्रेख्त (1930–2015)

हस्ताक्षर

जीवन परिचय

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यूगेन बर्थोल फ्रेडरिक ब्रेख्त (बचपन का नाम) का जन्म जर्मनी के औग्स्बुर्ग में हुआ था। ब्रेख्त की मां एक धर्मपरायण प्रोटेस्टैंट थी जबकि उनके पिता कैथोलिक। उनके पिता एक स्थानीय पेपर मिल में काम करते थे, जिसमें तरक्की करते हुए वो कंपनी के निदेशक बने। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गृह कस्बे आग्सबुर्ग में हुई थी। 1917 में वह म्यूनिख विश्वविद्यालय में अध्ययन हेतु चले गये। यहाँ उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए चिकित्साशास्त्र को चुना। लेकिन उनका मन इसमें नहीं रमा। म्यूनिख विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही ब्रेख्त कविता तथा नाटक में दिलचस्पी लेने लगे थे। वहाँ के स्थानीय अखबारों में उनकी रचनायें प्रकाशित होने लगी थी। ब्रेख्त की उम्र महज 16 की थी जब पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया। प्रथम विश्वयुद्ध के समय ही उन्हे सेना में जाने का अवसर मिला। उनको सेना के मैडिकल कोर में काम पर रखा गया। संयोगवश उनकी नियुक्ति उन्हीं के कस्बे आग्सबुर्ग में ही हो गई। सेना में सेवा की वजह से उनकी काव्य संवेदना पर युद्ध की विनाशकारी विभीषिका का गहरा असर पड़ा।

नाट्य सिद्धांत

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ब्रेख्त ने अपनी रचनाओं के लिये जो विचाधारा चुनी वे उसके साथ आजीवन जुड़े रहे। उन्होंने नाटकों द्वारा मार्क्सवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करने के लिये ‘एपिक थियेटर’ नाम से नाट्य मंडली का गठन किया। हिंदी में एपिक थियेटर को लोक नाटक के रूप में जाना जाता है। ब्रेख्त ने पारंपरिक अरस्तू के नाट्य सिद्धांतों से सर्वथा भिन्न तथा मौलिक नाट्य सिद्धांत रचे। उनका तर्क था कि जो कुछ मंच पर घटित है उससे दर्शक एकात्म न हों। वे समझे कि जो कुछ दिखाया जा रहा है वह विगत की ही गाथा है। गौरतलब है कि ऐसा ही प्रभाव लोक गीतों को गाये जाने की कला करती है।

बर्तोल्त ब्रेख्त की प्रमुख रचनाएं हैं :

  • द थ्री पेन्नी ओपेरा
  • लाइफ ऑफ गैलीलियो
  • मदर करेज एण्ड हर चिल्ड्रेन (नीलाभ अश्क द्वारा हिन्दी में हिम्मत माई शीर्षक से अनुवाद)[2]
  • द गुड पर्सन ऑफ शेजवान
  • द कॉकेसियन चॉक सर्कल
  1. "Bertolt Brecht". wikipedia.org. मूल से 20 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-20.
  2. "अधूरी ज़िंदगी ही जी पाए नीलाभ". bbc,com. मूल से 28 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-20.