बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल भारत के पंजाब राज्य के एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। टाईम पत्रिका ने अपने पंजाब की प्रदूषित काली बेई नदी को साफ करने का अभियान चलाने वाले बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल को दुनिया भर से चुने गए 30 हीरोज ऑफ एन्वायरनमेंट या दुनिया के पर्यावरण नायक में शामिल किया है। (अक्टूबर, २००८)। जनवरी २०१७ में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

बलबीर सिंह सीचेवाल
जन्म 2 फ़रवरी 1962 (1962-02-02) (आयु 62)
सीचेवाल, जलंधर जिला,
पंजाब
राष्ट्रीयता भारती
पेशा पर्यावरण कार्यकर्ता

महान कार्य

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बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल ने अकेले ही अपने दम पर बगैर किसी की मदद के काली बीन नदी को साफ करने का एक ऐसा आंदोलन छेड़ा कि लोग उनके साथ होते गए और बुरी तरह से प्रदूषित और बदबू मारने वाली नदी कलकल करती धाराओं में बहने लगी। काली बेईं नदी होशियारपुर जिले में 160 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है।

छह से ज्यादा नगरों और 40 गाँवों के लोग इसमेंअपना कूड़ा डालते थे और नालियों का गंदा पानी इसमें मिलाया जाता था। इससे यह एक गंदे नाले में बदल गई थी। नतीजतन आस-पास के खेतों को पानी नहीं मिल पाता था। बलबीर सिंह सीचेवाल और उनके साथियों ने इसकी सफाई के लिए अभियान छेड़ा। पहले तो लोग उनका मजाक उड़ाते रहे मगर धुन के पक्के बलबीर ने किसी की परवाह नहीं की। धीरे धीरे लोग खुद उनके साथ जुड़ते गए। जिस नदी के किनारे खड़े होने पर लोगोंको नाक पर रुमाल रखना पड़ता था, अब उसी नदी के किनारे लोग पिक्निक मनाते हैं। यह वही काली बीन नदी है जिसके किनारे 500 साल पहले गुरु नानक देव को अंतर्ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे नानक से गुरु नानक के रूप में पहचाने जाने लगे थे।

वर्ष 2000 में सिख धर्मगुरू बलबीर सिंह सीचेवाल ने इस नदी को साफ करने का संकल्प लिया था। उन्होंने अपने साथी और सहयोगी स्वयं सेवकों के साथ मिलकर इसके तटों का निर्माण किया और नदी के किनारे-किनारे सड़कें बनाई। सीचेवाल ने लोगों के बीच जनजागृति अभियान चलाया। इसके तहत लोगों से अपना कूड़ाकरकट कहीं और डालने को कहा गया, नदी में मिलने वाले गंदे नालों का रुख मोड़ा गया और सबसे बड़ी बात नदी के किनारे बसे लोगों को इसकी पवित्रता और शुध्दि को लेकर जागरुक बनाया गया। उनके संकल्प और मेहनत ने एक नदी को गंदे नाले से इठलाती, इतराती वल खाती नदी में बदल दिया।

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