बहमई हत्याकांड
बेहमई गांव में फूलन देवी और उसकी गैंग ने बदले की कार्रवाई करते हुए 21 राजपूतों की हत्या कर दी थी। अपने साथ हुए रेप का बदला लेने के लिए उसने इस घटना को अंजाम दिया था जबकि उसका रेप करने वालो को वो कभी मांर नही पाई फूलन देवी ने 1983 में सरेंडर कर दिया था। बाद में वह मिर्जापुर से सांसद चुनी गई और 25 जुलाई 2001 को 9 गोली मारकर ठाकुरो द्वारा हत्या कर दी गर्इ। राजा राम सिंह ने बेहमई हत्याकांड में एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच के दौरान अन्य आरोपियों के नाम सामने आए थे। इनमें से कुछ पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए तो कुछ की प्राकृतिक मौत हो गई। वहीं मान सिंह, विश्वनाथ और राम रतन को भगौड़ा घोषित कर दिया गया। कोसा, भीका, राम सिंह, श्याम बाबू और किशोर घोषित हुए आरोपी के खिलाफ ट्रायल चल रहा था। राम सिंह जेल में है जबकि बाकी आरोपी जमानत पर हैं।
संबंधित खबरें बैंडिट क्वीन का वो न्यूड सीन जिसे शूट कर रोने लगी थीं ‘फूलन’ फूलन देवी की बहन बोलीं- शेर सिंह राणा नहीं, पति ने की बैंडिट क्वीन की हत्या सरकारी वकील राजू पोरवाल ने बताया कि, 2008 में आरोपी ने खुद को नाबालिग बताते हुए शैक्षणिक दस्तावेजों के साथ अर्जी दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने ऑरिजिनल दस्तावेज देने का आदेश दिया था। 2015 में आरोपी ने 10वीं कक्षा का सर्टिफिकेट और अन्य शैक्षणिक दस्तावेज जमा कराए। जांच के बाद 23 नवंबर 2015 को आरोपी को नाबालिग घोषित कर दिया गया।’ नाबालिग घोषित हुए आरोपी के सात बच्चे हैं और सबसे बड़े बेटे की उम्र 24 साल है। वहीं बेहमई कांड में मारे गए तुलसीराम और छविनाथ के भतीजे उदयवीर सिंह ने कहा कि वह इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।