बहेलिया भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में पाई जाने वाली एक हिंदू जाति है ।[1][2][3]

बहेलियों का विभिन्न राजाओं के सैनिकों के रूप में उल्लेख मिलता है। उन्हें आदिम हिन्दू सैनिक बताया गया है। कश्मीर से लेकर काशी तक यहाँ तक की दक्षिण भारत में भी बहेलियों कि सेना का उल्लेख मिलता है।[4] बहेलिया समुदाय का मुख्य व्यवसाय महाराजाओं, यूरोपीय आगंतुकों आदि के शिकार के दौरान शिकार, खेल कराना होता था, हर कोई समुदाय की बहादुरी और ज्ञान की सराहना करता था।[5]

मध्य प्रदेश के सतना जिले के एक छोटे से गाँव पिंडरा का 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान था जिसमें लगभग 109 गाँव के लोग अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए। उपर्युक्त विद्रोह में बहेलिया समुदाय की बहुत बड़ी भूमिका थी, जहाँ समुदाय के 49 लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई करी। स्वतंत्रता संग्राम के बारे में उल्लेख करते हुए गांव में एक स्मारक का निर्माण किया गया है। शहीदों के नामों का उल्लेख गाँव में मौजूद स्मारक पर किया गया है।[6][7]

Saheed Smarak
Baheliya
हिन्दी: बहेलिया

बलथाजर सोल्विन ने बहेलिया सैनिक को एक आदिम हिंदू सैनिक बताया और कहा कि बहेलिया बंदूकों का इस्तेमाल करते थे, एक सींग उनके पाउडर का पाउच था और उनके कृपाण कमोबेश घुमावदार थे। उन्होंने लंबी पतलून पहनी थी, बहुत भारी जूते और सामान्य तौर पर पूरी पोशाक बहुत भारी और बोझिल थी। बहेलिया टेंट के नीचे रहते थे और हिंदू सैनिक के रूप में चावल और पानी का भोजन करते थे[8]

बनारस ( काशी) के महाराजा बलवंत सिंह जी की एक बहेलियों की सेना थी। महाराज की बहेलिया सेना ने अपने छापेमार युद्ध में अंग्रेजों के पैर उखाड़ दिए थे। बहेलिया सेना महाराज की तरफ़ से नवाबों के खिलाफ़ भी लड़ी थी।वे नवाब के आदमियों को लूटते मारते थे।[9]

बाबा गयादीन दुबे उत्तर प्रदेश के फतेपुर के कोरानी गांव के जमींदार थे। उनके बासठ गांव थे। उसके पास 200 बहेलिया सैनिकों की बहुत अच्छी सेना थी। उन्होंने अपने सैनिकों के साथ 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों का समर्थन किया और अपने न्यायाधीश मित्र के खिलाफ मार्च किया, जिसे अंत में आत्महत्या करनी पड़ी।[10]

Bahelia Soldier
Bahelia Soldier (Behleea) in "Solvyns, A Collection of Two Hundred and Fifty Coloured Etchings (1799)"
(1) A Seapoy in the Native Attire; (2) A Hindoo Soldier; (3) A Brigbasi.
(1) A Seapoy in the Native Attire; (2) A Hindoo Soldier; (3) A Brigbasi

बंगाल में बहेलिया समुदाय का पारंपरिक व्यवसाय महाराजा कृष्ण चंद्र रॉय के अधीन चौकीदार और सैनिक होना था। बाद में वे व्यवसाय करने लगे और कृषक भी बन गए।[11]

बहेलिया तीरंदाजी के लिए विख्यात थे। गाज़ीपुर के किले के नीचे ही इनका छोटा सा गांव था, जो अब भी बहेलियन का पुरवा नाम से विख्यात है परन्तु अब वहां केवल एक ही घर बहेलिया परिवार का है।[12]

बहेलिया एक बहादुर समुदाय है और आमतौर पर बीट शिकारों की आपूर्ति करते हैं जो खेल को ट्रैक करते हैं और शूटिंग पार्टियों की व्यवस्था करते हैं। सभी शिकारी, यूरोपीय और भारतीय की सर्वसम्मत गवाही, बहेलिया को एक अच्छा एथलेटिक, बोल्ड, प्लकी और सोशियल जनजाति के रूप में टिकट देती है।[13]

उत्पत्ति

संपादित करें

यह शिकारी और पक्षी पकड़ने वालों का एक आदिवासी समुदाय हैं, और उनके नाम की उत्पत्ति संस्कृत के विदयका से हुयी है, जिसका अर्थ है बींधना । वे मुख्य रूप से पक्षियों को पकड़ने, मधुमक्खियों से शहद निकालने और बेना (हवा करने का यन्त्र) के निर्माण के लिए मोर पंख उठाते हैं।

वर्तमान परिस्थिति

संपादित करें

पारंपरिक रूप से बहेलियों की आर्थिक गतिविधि पक्षी को पकड़ने और शहद बेचने के इर्द-गिर्द घूमती थी। इसके अलावा, उनकी मुख्य आर्थिक गतिविधि मोर पंख से बेना का निर्माण करना है। इन बेनों को फिर बनिया बिचौलियों को बेच दिया जाता है, जो उन्हें कोलकाता और दिल्ली जैसे शहरों में बेचते हैं। उनकी प्रत्येक बस्ती में एक अनौपचारिक जाति परिषद होती है, जिसे बिरादरी पंचायत के रूप में जाना जाता है। इसमें पाँच सदस्य शामिल हैं जो समुदाय के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। पंचायत सामाजिक नियंत्रण के साधन के रूप में कार्य करती है जो तलाक और व्यभिचार जैसे मुद्दों पर कार्य करती है ।

उत्तर प्रदेश के लिए भारत की 2011 की जनगणना ने बहेलिया आबादी को 143,442 के रूप में दिखाया।[14]

  1. People of India Uttar Pradesh Volume XLII Part One edited by A Hasan & J C Das pages 112 to 116 Manohar Publications
  2. People of India Hayana Volume XXIII edited by M.L Sharma and A.K Bhatia pages 122 to 125 Manohar
  3. The Tribes and Castes of the North-Western Provinces and Oudh, Volume 1, from ... –William Crooke – Google Books. अभिगमन तिथि 6 जुलाई 2020.
  4. Kumar, Ashutosh (2nd July 2022). "Baheliya soldiers blogger". Baheliya soldiers blogger. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  5. Kumar, Ashutosh (27 October 2020). "Baheliya soldiers blogger". Baheliya soldiers blogger.
  6. https://www.dnaindia.com/india/report-india-s-independence-struggle-built-on-the-backs-of-forgotten-bravehearts-2781905 retrieved on 04.08.2020
  7. https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/chitrakoot/109-villagers-of-pidra-village-were-martyred-for-the-country-s-independence-chitrakutt-news-knp5406652101 retrieved on 17.09.2020
  8. Les Hindous,Volume 2, by Balthazar Solvyns.
  9. Banarasi Lal Arya, Maharaja Balwant Singh Aur Kashi ka Atit, 1975, pg, 37, 77.
  10. Dipnarayana Sinha, Phatehapura ke svatantrata Senani, 1979, Pg. 29.
  11. People of India, West Bengal, V. XXXXIII part 1, K. S. Singh, Pg 104.
  12. Dr Mahendra Pratap Singh, Bhagwant Rai Khichi Aur Unke Mandal Ke Kavi, 1867, Pg. 9.
  13. D. N. Majumdar, The Fortunes of Primitive Tribes, 1944, Pg. 186.
  14. "A-10 Individual Scheduled Caste Primary Census Abstract Data and its Appendix - Uttar Pradesh". Registrar General & Census Commissioner, India. मूल से 31 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-02-04.