बाँका जिला

बिहार का जिला ये भारत के पूर्व में स्थित है
(बांका जिला से अनुप्रेषित)

बाँका ज़िला (Banka district) भारत के बिहार राज्य के अड़तीस जिलों में से एक है। ज़िले का मुख्यालय बाँका शहर में स्थित है।[1][2] जिले की स्थापना 21 फरवरी 1991 को हुई थी।[3]

बाँका ज़िला
Banka district
बिहार का ज़िला
मन्दार पर्वत
बिहार में स्थिति
बिहार में स्थिति
देश भारत
राज्यबिहार
स्थापना21 फरवरी 1991
मुख्यालयबाँका
ब्लॉक11
क्षेत्रफल
 • कुल3020 किमी2 (1,170 वर्गमील)
जनसंख्या (2011)
 • कुल20,34,763
 • घनत्व670 किमी2 (1,700 वर्गमील)
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी,अंगिका, मैथिली, संताली
जनसांख्यिकी
 • साक्षरता58.17%
 • लिंगानुपात907
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
वेबसाइटbanka.nic.in

यह ज़िला पश्चिमी चंपारण ज़िला के उत्तर-पश्चिम में स्थित है और यह गंगा नदी के दक्षिणी तट पर है।

बांका ज़िला अपने पर्यावरण, सांस्कृतिक धरोहर, और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई प्राचीन मंदिर, जैसे कि जैन मंदिर, हिन्दू मंदिर, और मस्जिदें स्थित हैं जो स्थानीय और आंतरविदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

बांका ज़िला की अर्थव्यवस्था का मुख्याधारा कृषि पर निर्भर करती है, जिसमें धान, गेहूँ, और अन्य फसलें शामिल हैं। यहां के लोग छोटे और मध्यम व्यापारों में भी लगे हैं।

बांका ज़िला का रूपरेखा विभिन्न सांस्कृतिक पर्वों, मेले, और उत्सवों से भरपूर है। यहां के लोग अपनी स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने में रुचि रखते हैं और इसे बचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

बाँका ज़िले में ११ तहसीलें हैं - बाँका, रजौन, अमरपुर, धोरैया, कटोरिया, बौसी, शंभुगंज, बाराहाट, बेलहर, चांदन, तेलोन्ध फूल्लीडूमर।

मुख्य आकर्षण

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मंदार पहाड़ी - वैसे तो यहाँ अनेक पहाड़ी है लेकिन कुछ देखने लायक है, इसमें से एक है मंदार पहाड़ी। यह पहाड़ी भागलपुर से 48 किलोमीटर की दूरी पर है, जो अब बांका जिले में स्थित है। इसकी ऊंचाई 800 फीट है। इसके संबंध में कहा जाता है कि इसका प्रयोग सागर मंथन में किया गया था। किंवदंतियों के अनुसार इस पहाड़ी के चारों ओर अभी भी शेषनाग के चिन्‍ह को देखा जा सकता है, जिसको इसके चारों ओर बांधकर समुद्र मंथन किया गया था। कालिदास के कुमारसंभवम में पहाड़ी पर भगवान विष्‍णु के पदचिन्‍हों के बारे में बताया गया है। इस पहाड़ी पर हिन्‍दू देवी देवताओं का मंदिर और अनेको मूर्तियाँ स्थित है जिसे हम पहाड़ो पर चड़ते हुए भी देख सकते है। यह भी माना जाता है कि जैन के 12वें तिर्थंकर ने इसी पहाड़ी पर निर्वाण को प्राप्‍त किया था। लेकिन मंदार हिल की सबसे बड़ी विशेषता इसकी चोटी पर स्थित झील है। इसको देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। पहाड़ी के ठीक नीचे एक पापहरनी तलाब है, इस तलाब के बीच में एक भगवान विष्णु मन्दिर है जो इस दृश्य को और भी रोमान्चक बनाता है। यहाँ जाने के लिये भागलपुर से बस और रेलवे दोनों की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा यहाँ चंदन डैम और कोज़ी डैम भी देखने लायक है। यहाँ से देवघर और बाबा बासुकीनाथ नजदीक है। जिले के अमरपुर प्रखंड स्थित एक पहाड़ियों के बीच एक झरना भी है जहां हर मकर सक्रांति पर एक मेले का भी आयोजन होता है जो अपने आप में एक रोचक भी है इस झरने की कुंड की जलधारा गर्म होती है इसका कारण है पहाड़ों की प्रकृति में उपस्थित औषधीय पौधों के औषधीय गुण को समैटती हुई उसकी जलधारा आती है जो अपने आप में बहुत गुणकारी और मनमोहक है इसमें हर वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हजारों हजार की संख्या में लोग आकर स्नान करते हैं और मेले का लुफ्त उठाते हैं।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Bihar Tourism: Retrospect and Prospect Archived 2017-01-18 at the वेबैक मशीन," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999
  2. "Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810
  3. "Google". www.google.com. अभिगमन तिथि 2024-07-16.